इतिहास के रहस्यों में वर्णित, यूरेक्थम के प्रसिद्ध मंदिर का ऐतिहासिक वर्णन जो सराक्यूज की रोने वाली मूर्ति से भी बढ़कर है, आश्चर्यजनक है। यह मंदिर यूनान यानि ग्रीक की राजधानी एक्रोपोलिस में स्थित है। ये बात उस समय की है जब थामस ब्रूस, एल्गिन का सातवां अर्ल, सन् 1799 में तुर्की में ब्रिटिश ओटोमन एम्पायर का राजदूत था।
थामस ब्रूस एक बहुत ही व्यवहार कुशल स्कॉटिश राजनीतिज्ञ था | तुर्की के अधिकारियों ने उनसे इस मंदिर को तोड़कर उसकी मूर्तियाँ इंग्लैंड ले जाने की आज्ञा प्राप्त कर ली। बस फिर क्या था | मंदिर गिराने के लिए मजदूरों का एक जत्था रात में काम पर लगाया गया। एक्रोपोलिस के स्थानीय निवासियों को इस बात का पता चला तो वे बहुत नाराज हुए, साथ ही साथ वे अत्यंत भयभीत भी हुए |
वे अपने सारे काम छोड़कर अपने भगवान से प्रार्थना करने के लिए बैठ गए। इसी समय एक यह अभूतपूर्व, अविस्मरणीय घटना घटित हुई। अभी बाहर की चहार-दीवारी ही हट पाई थी कि जैसे ही मजदूरों ने मूर्ति को तोड़ कर हटाया एक भयंकर चीख सुनाई दी उसके अन्दर से। वो चीख काफी डरावनी तथा ह्रदय को चीर कर रख देने वाली थी |
कई मजदूर भयभीत होकर गिर पड़े और कुछ एक दम जड़वत हो गए, उनका रक्त तक जम गया, कुछ के फेफड़े फट गए । ऐसा कहा जाता है कि अगर एक भारी भरकम हथौड़े से पिस्टन में पूरी शक्ति लगाकर चोट मारी जाय और पिस्टन को स्वेच्छा पूर्वक पीछे को उछलने दिया जाय तो सिलेण्डर में रखा हुआ सारा पानी जमकर बर्फ हो जाएगा।
उसके बाद यदि उस बर्फ पर एक गर्म जलता हुआ लोहे का टुकड़ा रख कर उस पर उसी हथौड़े की पूरी शक्ति लगाकर चोट की जाए तो वही बर्फ पानी हो जाएगी और फिर पानी ही न रहेगी बल्कि उबलकर हाइड्रोजन व आक्सीजन गैसों में बदलकर इतना भयंकर विस्फोट करेगा कि वह लोहा भी पिघल कर गैस बनकर उड़ जायगा।
मजदूरों के शरीर का खून जम जाना, उनके फेफड़ों और ह्रदयों का फट जाना इस सिद्धान्त की याद दिलाता है और यह बताता है कि वह चीख भारी हथौड़े की मार से भी भयंकर रही होगी। फिर पीछे खड़े, बचे हुए दूसरे मजदूर उस मूर्ति के अतिरिक्त किसी दूसरी मूर्ति को नहीं तोड़ सके।
ज्यादातर वैज्ञानिक ये मानते हैं कि जिस खम्भे पर मूर्ति रखी थी वह इस प्रकार से बना हुआ था कि मूर्ति हटते ही चारों ओर से हवा एकदम से खिंची और उसी से विस्फोट हुआ पर कुछ वैज्ञानिक इस बात को मानते नहीं।
यदि ऐसा होता तो गर्मियों में उठने वाले बवंडर (साइक्लोन) से भी भयंकर ध्वनियाँ होती जबकि ऐसा कहीं सुना नहीं गया। यह मूर्ति आज भी ब्रिटिश म्यूजियम में रखी है और “यूरेक्थम के रहस्य” के नाम से यह आवाज आज भी रहस्यमय बनी हुई है। उसका कोई वैज्ञानिक विश्लेषण नहीं हो पाया आज तक ।