मन्त्र विद्या के रहस्य
मन्त्र विद्या के रहस्य इस दुनिया के ऐसे अजूबे हैं कि जिनके समझ में आ गए, उनके लिए किसी दिव्य अनुदान से कम नहीं हैं | सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ॰ एहरन, हमेशा अपनी कमर में एक तुलसी के पौधे की लकड़ी का टुकड़ा बाँधे रहते थे ।
वो तुलसी की लकड़ी की ही एक कन्ठी, अपने गले में भी धारण किये रहते थे । एक बार उनके एक मित्र ने उनसे व्यंग किया “लगता है आप भी भारतवर्ष हो आये है, वहाँ के लोग भी बड़े अन्ध विश्वासी होते हैं |
छोटे छोटे बच्चों से लेकर बड़े बूढ़े तक हर कोई किसी न किसी प्रकार की कंठी धारण किये रहते हैं तो कभी कोई धातुओं के आभूषण पहना रहता है, पूछो तो कहेंगे, इससे भूत-प्रेतों से रक्षा होती है, नजर नहीं लगती, और आज आप भी !”
उन विचारशील वैज्ञानिक ने हँसकर कहा “अशिक्षा के कारण वहाँ के लोग सही बात का स्पष्ट विश्लेषण नहीं कर पाते हो वह अलग बात है पर इन बातों को मात्र अन्ध विश्वास नहीं मानना चाहिए बल्कि यह समझना चाहिये कि उनके इन टोटकों के पीछे कोई ठोस वैज्ञानिक आधार छुपा हुआ हो सकता है और यदि उन्हें खोजा जाये तो उनसे नई वैज्ञानिक मान्यताएं प्रकाश में आ सकती हैं |
मैं तुलसी की लकड़ी पहने रखता हूँ पर आप नहीं जानते यह छोटी सी लकड़ी मुझे सैकड़ों रोग के कीटाणुओं से बचाती है । बीमारियों से रक्षा करती है । एक मुट्ठी हवा में जितने सूक्ष्म कीटाणु होते हैं यदि वह सब मनुष्यों जितने बड़े आकार के हो जाये तो सारी धरती भी उनके रहने के लिये कम पड़ जाये ।
बहुत सारे कीटाणु, जो मानव जीवन के लिए अत्यंत घातक, ऐसे है जिन्हें अगर कोई देखना चाहे तो इलेक्ट्रानिक माइक्रोस्कोप से कम क्षमता का सूक्ष्मदर्शी काम ही नहीं देगा । इन अदृश्य जीवों से उत्पन्न विकृतियों और बीमारियों से बचने के लिये अगर कुछ विशिष्ट धातुएं और जड़ी-बूटियाँ पहनी जाती हो और इन रोग के कीटाणुओं को भूत जैसा अदृश्य हानिकारक कहा जाये तो मेरे ख्याल से उसे अन्ध विश्वास नहीं कहा जाना चाहिए” ।
कही प्रस्थान करने से पहले बड़ों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना, पढ़े लिखो की दृष्टि में अन्ध विश्वास हो सकता है लेकिन कई स्थानों में आज भी मंगल कलश रखकर और स्वस्ति वाचन के साथ यात्रायें प्रारम्भ करने के विधान है |
कन्या की विदा, तीर्थयात्रा जैसे धार्मिक अवसरों पर ऐसा अनिवार्य रूप से किया जाता है और पढ़े-लिखे मॉडर्न लोगों की दुनिया में उसे अन्ध विश्वास कहा जाता है लेकिन आधुनिक भौतिकी के किसी वैज्ञानिक को यह बात मालूम हो जाये तो उसे विज्ञान की शोध की नई दिशा मिल सकती है । शब्द की सामर्थ्य से आज सारा वैज्ञानिक जगत प्रभावित है ।
अमेरिका के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति जॉन ऍफ़ कैनेडी की एक असाध्य बीमारी मंत्र से ठीक हुई (जो की सच्चाई है) यह कहा जाये तो ये लोग उसे अन्ध विश्वास कहेंगे पर यदि उन्हें यह कहा जाये कि राष्ट्रपति कैनेडी की चिकित्सा “अल्ट्रासाउण्ड” द्वारा की गई तो उसे प्रामाणिक माना जायेगा ।
अल्ट्रासाउण्ड और मन्त्र दोनों में ध्वनि की शक्ति सामर्थ्य है | यदि हमें मनुष्य शरीर रुपी यन्त्र की वास्तविकता और इसमें भरी आध्यात्मिक सामर्थ्य का पता होता तो मानते कि आशीर्वादवाची शब्द से लेकर स्वस्तिवाचन तथा मंत्र भी अन्ध विश्वास नहीं बल्कि विज्ञान का मूल तथ्य है केवल उन्हें आज के युग के संदर्भ में प्रस्तुत करने भर की कमी है यदि उसे वैज्ञानिक धरातल पर रखा जा सके तो यह मंत्र विद्या, और शब्द विद्या परमाणु बम से भी आश्चर्यजनक चमत्कार उत्पन्न कर सकती है ।