यह घटना सन् 1643 की है | उस रात को, द्वितीय महायुद्ध, पैसिफिक सागर में तेरहवीं एयर फोर्स बटालियन के कमाण्डर जनरल नोथन एफ र्ट्वनिंग दुर्भाग्यवश युद्ध के दौरान अपने बेड़े से अलग पड़ गये थे । वे एस्पेराइट सैंटो एयरवेज के लिए अपने चौदह साथियों के साथ रवाना हुये थे।
युद्ध के दिन चल ही रहे थे | बहुत खोज की गई उन लोगो की पर उनका व उनके साथियों का कहीं कुछ भी पता नहीं चला। जिस समय की यह घटना है जनरल नोथन की पत्नी उस समय अमेरिका में अपने घर में सो रही थी। गहरी निद्रा के समय ही अचानक उन्हें लगा उनके पति उनके पास ही खड़े हैं और बेचैनी पूर्वक उनको जगा रहे हैं।
श्रीमती ट्वीनिंग ने अपने पति का मुँह और हाथ स्पष्ट देखा उन्होंने पति के हाथ पकड़ने की कोशिश भी की, कि तभी अचानक उनकी एकाएक नींद टूट गई। स्वप्न उन्होंने पहले भी देखे थे किन्तु यह स्वप्न उन सबसे अलग एवं जीवंत था | जाग जाने पर भी वह श्रीमती ट्वीनिंग को इस प्रकार रोमाँचित कर रहा था कि उनकी गर्दन के बाल सिहर कर खड़े हो गये थे उस समय ।
उस रात उसके बाद उन्हें नींद नहीं आई। उन्होंने वह रात पूरी जागकर बिताई। सवेरा हो चला था। तभी एकाएक टेलीफोन की घण्टी बजी। उनकी एक महिला मित्र का फोन था। उसके पति भी दक्षिणी पैसिफिक सागर पर सैनिक अफसर थे इसलिये श्रीमती ट्वीनिंग के हृदय में रात को रोमाँचकारी घटना ने फिर एक बार उत्तेजना उत्पन्न की।
उन्होंने जल्दी-जल्दी में उससे पूछा-कहो सब ठीक तो है ना! उधर से आवाज आई सब ठीक है पर मेरा मन न जाने क्यों बड़ी देर से बार-बार तुम्हें ही याद कर रहा है मैंने तुम्हारे पास आने का निश्चय किया है कहीं जाना मत, मैं दो तीन दिन में ही तुम्हारे पास आ रही हूँ। श्रीमती ट्वीनिंग को अब भी आशंका थी कि उसे कोई बात कहनी है जो अभी छिपाई जा रही है लेकिन जब वे उनके घर आई तब भी ऐसी कोई बात उन्होंने नहीं बताई।
इतने पर भी श्रीमती ट्वीनिंग की उस स्वप्न के प्रति आशंका गई नहीं। दो दिन रहकर जब उनकी सहेली वापस लौट गई तब श्रीमती ट्वीनिंग को सरकारी तौर पर जानकारी दी गई कि उनके पति अपने बेड़े के साथ लापता है और बड़े स्तर पर उनकी खोज की जा रही है।
खोज करने वाले अधिकारी नियुक्त कर दिये गये हैं। इस समाचार से उनका मन बड़ा व्यग्र हो रहा था। थोड़ी ही देर बाद उन्हें दूसरी सूचना मिली जिसमें यह बताया गया था कि उनके पति का जहाज मिल गया है। और श्री ट्वीनिंग शीघ्र ही उनसे मिलने घर पर आ रहे हैं। तब जा कर कहीं श्रीमती ट्वीनिंग का मन शांत हुआ |
बाद में भेंट होने पर श्रीमती ट्वीनिंग ने अपने पति से उस रात के स्वप्न वाली बात बताई तो इस पर श्री ट्वीनिंग ने बताया कि कि वास्तव में उस दिन ठीक उसी समय वे संकट में पड़े थे जिस समय उन्होंने स्वप्न देखा। उन्होंने अपनी पत्नी से यह भी बताया कि कितने आश्चर्य की बात है कि ठीक उसी समय मुझे तुम्हारी (उनकी पत्नी) तीव्र याद आई थी |
इस पारस्परिक अनुभूति का कारण क्या हो सकता है? इसके अतिरिक्त जिस आफीसर ने खोज की वह उनको सहेली का ही पति था उसे किसने वहाँ आने के लिये प्रेरित किया यह सब ऐसे रहस्य है जो मनुष्य को बताते हैं कि जीवन में जो कुछ प्रकट है वही सत्य नहीं बल्कि सत्य का महासागर तो अदृश्य में छुपा हुआ है। और वह विचित्र संयोगों के बीच कभी-कभी प्रकट हुआ करता है।
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