लालच और…सोना…, काश कि इन दोनों में से कोई एक चीज़ इस दुनिया में न होती तो ये दुनिया इतनी बुरी भी नहीं थी | कभी-कभी इन दोनों का साथ भयंकर घटनाओं को जन्म देता है और इनकी कहानियाँ,….ठंडी, शांत और निःशब्द रातों में अपने पास बुलाती हैं कि- आओ मुझे खोजो, मै यहीं-कहीं हूँ |
सन 1519 में जब स्पेनिश विजेता हर्मन कोर्टेस अपनी सेना के साथ, प्राचीन एज्टेक सभ्यता के प्रसिद्ध शहर तेनोच्तित्लान की सरहद पर पहुंचा तो उसे बिलकुल भी अंदाज़ा नहीं था कि उसे यहाँ क्या मिलने वाला था | तेनोच्तित्लान, सोने और पता नहीं कितनी रहस्यमय वस्तुओं से भरा हुआ वो शहर प्राचीन एज्टेक साम्राज्य की राजधानी था |
ऐसा कहा जाता है कि एज्टेक सम्राट, मोंटेज्युमा द्वितीय ने हर्मन और उसके साथियों का स्वागत भगवानों की तरह किया, भगवान जो अमर थे | खुद हर्मन को मोंटेज्यूमा और उसकी प्रजा ने अपना भगवान् ‘क्विट्जलकोटल’ समझा | क्विट्जलकोटल उनके मुख्य भगवान् थे | जिनके बारे में एज्टेक सभ्यता के लोग ये मानते थे कि अतीत में जब क्विट्जलकोटल एजटेक की धरती पर आये थे तो वहां से अपने लोक में प्रस्थान करते समय एजटेक निवासियों से ये वादा कर के गए थे कि- “मै फिर आऊंगा” |
लेकिन भोले-भाले एजटेक वासियों ने धूर्त, लालची हर्मन कोर्टेस और उसके साथियों को अपना भगवान् समझा और उनका भगवानों की तरह ही अत्यन्त भव्य तरीके से स्वागत भी किया | हाँलाकि इन्ही भगवानों ने एजटेक वासियों के साथ विश्वासघात किया और उन्हें ऐसा दर्द दिया कि वो इतिहास में एक किम्वदन्ती बन गया |
हर्मन और उसके साथियों की उच्श्रंखलता और उद्दंडता देखकर, कुछ दिनों में ही एजटेक वासियों को ये समझ में आ गया कि ये उनके भगवान नहीं हो सकते | उनके सम्राट मोंटेज्यूमा ने हर्मन और उसके साथियों को ढेर सारा सोना दे कर स-सम्मान विदा करना चाहा (ताकी उनसे छुटकारा मिल सके) लेकिन स्पेनिश लड़ाकों से छुटकारा पाना इतना आसान नहीं था…..या शायद होनी को कुछ और ही मंज़ूर था |
इतना सारा शुद्ध सोना देखकर हर्मन कोर्टेस और उसके साथियों की आँखे चौंधियाँ गयी | ये उनके अन्दर की लपलपाती लालच की अग्नि में ईधन का काम की | भोले एजटेक वासियों का शायद इससे पहले इतनी दुष्ट प्रकृति के मनुष्यों से पाला नहीं पड़ा था |
स्पैनिश लड़ाकों के पास उनकी तुलना में आधुनिक हथियार थे, उनके पास बारूद उगलने वाली राइफल्स थीं, इसलिए भी वे कमांडिंग स्थिति में थे | इन सब का परिणाम ये हुआ कि धूर्त हर्मन कोर्टेस ने, एजटेक सम्राट मोंटेज्यूमा को उसके ही महल में नज़रबंद कर दिया | इसके बाद उन लोगों ने अपने मित्र और एजटेक वासियों के शत्रु, ट्लैक्सकालन लोगों की सहायता से, शहर के ही एक भव्य मंदिर में अपना सैन्य-शिविर बना लिया और पूरे तेनोच्तित्लान शहर में सोना ढूंढते हुए लूटमार प्रारम्भ किया |
आने वाले महीनो में हर्मन और उसके क्रूर साथियों ने कई एजटेक निवासियों को पकड़ कर यातनाएँ दी और कईयों की तो बेरहमी से हत्या तक कर दी, केवल इसलिए कि वो उन्हें ज्यादा से ज्यादा सोना मिलने का पता बताएँ | इस तरह से उन स्पैनिश लड़ाकों की सोने की भूख ने कई एजटेक वासियों की बलि ले ली | लेकिन उन लोगों ने बेहिसाब सोना इकठ्ठा किया, शायद इतना कि जितने की कल्पना भी न की जा सके |
हाँलाकी इतना सब हो जाने के बाद भी एजटेक वासियों ने अब तक उन लोगों का कोई मज़बूत प्रतिरोध नहीं किया था, ये आश्चर्य का विषय था | लेकिन, ये सन 1520 के मई महीने का आखिरी समय चल रहा था, जब हर्मन और उसके साथियों ने अत्याचारों की इन्तेहा कर दी | हर्मन कोर्टेस और उसके स्पैनिश लड़ाकों ने एजटेक वासियों के सीधेपन का फ़ायदा उठाते हुए, एक दिन, तेनोच्तित्लान शहर के सबसे मुख्य मन्दिर में, एक धार्मिक समारोह के दौरान, बड़ी संख्या में एजटेक वासियों का नर-संहार किया |
उनके इस कुकृत्य से सारे एजटेक निवासी बुरी तरह भड़क उठे, उनके दिलों में प्रतिशोध की ज्वाला लपलपा उठी | महासंकट की इस घड़ी में जब स्पैनिश लड़ाकों ने अपने आप को पूरी तरह से घिरा हुआ पाया तो उन्हें एजटेक सम्राट मोंटेज्यूमा की याद आई जिसे उन्होंने नज़रबंद कर रखा था | उन्हें लगा कि वे मोंटेज्यूमा का अपने पक्ष में उपयोग कर के एजटेक वासियों के गुस्से को ठंडा कर लेंगे और उनसे मैत्रीपूर्ण शान्ति-सम्बन्ध स्थापित कर लेंगे, लेकिन वो गलत थे |
वे एजटेक लोगों के गुस्से को ठीक से भांप नहीं पाए और उनकी ये योजना असफ़ल हुई, हाँलाकि इन सबके बीच में मोंटेज्यूमा मारा गया | मोंटेज्यूमा की मौत भी एक रहस्य ही है | ये अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका कि वो स्पैनिश लड़ाकों से युद्ध में घायल होकर मरा या एजटेक वासियों ने ही उस पर पत्थर लुढ़का कर उसको जान से मार दिया | इन सबके बाद हर्मन और उसके साथियों के पास केवल एक ही रास्ता बचा था, और वो था- जितने जल्दी हो सके यहाँ से भाग निकलने का | एजटेक वासियों ने तेनोच्तित्लान की धरती को मुख्य ज़मीन से जोड़ने वाले सारे पुलों को ध्वस्त कर दिया था जिससे कि बाहरी दुनिया से आये आक्रमणकारी भागने न पाए |
अब स्पैनिश लड़ाकों को एक अस्थाई पुल बनाना था, जिससे की वो भाग सके | ये पहली जुलाई सन 1520 की रात थी जब स्पैनिश लड़ाकों ने अपने सामान के साथ लूट में इकठ्ठा किया सारा सोना ले कर भागना शुरू किया लेकिन उनके दुर्भाग्य से एजटेक वासी इन सब के लिए पहले से तैयार थे | सोना ले कर भागते स्पैनिश लड़ाकों पर भीषण प्रहार किया एजटेक लोगों ने | बहुत सारे स्पैनिश सैनिकों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया | इतिहास में इस घटना को ‘La Noche Triste’ या ‘The Sad Night’ कहा जाता है |
कोर्टेस और उसके स्पैनिश साथियों के लिए बहुत दुर्भाग्यशाली रात्रि थी वो | कोर्टेस ने न केवल अपने बहुत सारे साथी खो दिए बल्कि एजटेक लोगों से लूटा हुआ वो विशालकाय खज़ाना भी खो दिया | उस दुर्भाग्यशाली रात को कोर्टेस समेत सारे स्पेनिश सिपाही किसी भी कीमत पर अपनी जान बचा कर भागना चाह रहे थे | उनमे से जो अपने सोने समेत, उनके द्वारा बनाए गए अस्थाई पुल तक पहुँचने में सफल भी हो गए उन्हें भी अपना सोना, वहां बह रही ‘टेक्सकोको’ झील में फ़ेंक कर भागना पड़ा क्योकि सोने से भरे विशालकाय थैलों के भार से उनका पुल चरमराकर टूटने जा रहा था |
हाँलाकि उस दौरान भी बहुत सारे स्पैनिश सैनिक घेर कर मार दिए गए, फिर भी कुछ सैनिक भागने में सफ़ल हुए लेकिन वो भी खाली हाँथ | कहा जाता है कि जो खज़ाना कोर्टेस और उसके साथियों ने लूटा था, उसमे सिर्फ सोना ही नहीं था बल्कि उनमे, उनके भगवान क्विट्जलकोटल द्वारा दी गयी कुछ बेहद नायाब, किन्तु रहस्यमय वस्तुएं भी थीं | लेकिन वो सब वहीँ फेंक दिया गया वे लोग कुछ भी नहीं ले जा पाए |
उन ‘रहस्यमय’ वस्तुओं समेत वो सारा खज़ाना “मोंटेज्यूमा का खज़ाना” नाम से इतिहास में प्रसिद्ध है और जैसा की सारे खज़ानों के साथ होता है, मोंटेज्यूमा के खज़ाने के बारे में भी कई किम्वदंतियां वहां की हवाओं में घुली हुई हैं | लेकिन इस खजाने के बारे में केवल एक बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि ये अभी भी रहस्य के आवरण में लिपटा है |
पुरातत्वविदों समेत कई विद्वानों ने इसके बारे में अलग-अलग थ्योरी दी है उनमे से जो सबसे प्रसिद्ध थ्योरी है वो यही बताती है कि सारे बेशकीमती सामान समेत पूरा खज़ाना टेक्सकोको झील की तलहटी में ही कहीं है |
बहुत सारे खज़ाना खोजियों ने पूरी-की-पूरी झील छान मारी लेकिन परिणाम शून्य निकला | कुछ लोग तो ये भी कहते हैं एक भूतपूर्व मेक्सिको के राष्ट्राध्यक्ष ने पूरे झील की तलाशी ले ली थी लेकिन उसका नतीज़ा भी सिफ़र निकला |
एक थ्योरी यह भी कहती है कि इतनी मार खाने के बाद, कुछ समय बीतने पर जब स्पैनिश वापस लौटे (पूरी तैयारियों के साथ) तो तेनोच्तित्लान का सारा खज़ाना अपने कब्ज़े में ले लिया और वापस स्पेन लौटते समय, वो सारा खज़ाना जिस विशालकाय ज़हाज में भरा हुआ था, वो भयंकर तूफ़ान और भँवर में फँस गया, और समंदर के गर्भ में समा गया, खज़ाना फिर भी नहीं मिला स्पेनियों को |
दुनिया भर के विद्वान चाहे जो थ्योरी दें लेकिन सच तो यह है कि इंसान के लालच और अहंकार की सीमाओं का कोई अंत नहीं है इसलिए जब कभी वो अपनी हदें पार करता है तो कभी-कभी प्रकृति को खुद आना पड़ता है हस्तक्षेप करने………