हजारों वर्षों से शीबा की रानी का अस्तित्व रहस्य के घेरे में रहा है | इसका ज़िक्र बाइबिल के ओल्ड टेस्टामेंट में, ‘राजाओं की प्रथम पुस्तक’ में आया है | इस पुस्तक के अनुसार ईसा से लगभग एक हज़ार वर्ष पहले शीबा की रानी, राजा सोलोमन से मिलने ईस्राइल (यरूशलम) आई | और अपने साथ ढेर सारे कीमती उपहार, जिसमे उच्च गुणवत्ता युक्त स्वर्ण से बने उपहार, ऊँट के काफ़िलों पर लदे सैकड़ों मर्तबानों में भरे हुए तरह-तरह के मसाले, और कई कीमती व दुर्लभ रत्न भरे पड़े थे, ले कर आयी |
सोलोमन की ख्याति अब तक एक बुद्धिमान और प्रतापी सम्राट के रूप में, विश्व में दूर-दूर तक फ़ैल चुकी थी | कहा जाता है कि सोलोमन को ईश्वर का आशीर्वाद और देवताओं का सानिध्य प्राप्त था | एक बार एक संत ने सोलोमन की परीक्षा लेनी चाही | वो एक चिड़िया को अपनी हथेली मे लेकर सोलोमन से पूछा कि “बता ये पक्षी जीवित है या मृत” | सोलोमन ने तुरंत उत्तर दिया की ये आप पर निर्भर करता है कि वो पक्षी जीवित होगा या मृत | उसके उत्तर से प्रसन्न होकर वो संत उसे आशीर्वाद देकर चला गया |
लेकिन शीबा की रानी को इन सब कहानियों पर विश्वास नहीं था | वो सोलोमन की परीक्षा लेना चाहती थी | अपनी मुलाकात में शीबा की रानी ने, सोलोमन से कई गूढ़ प्रश्न किये | सोलोमन ने सभी प्रश्नों का संतुष्टि जनक उत्तर दिया | शीबा ने प्रसन्न होकर सारे उपहार सोलोमन को दिए | सोलोमन ने भी शीबा की राजसी आवाभगत की और ढेर सारे उपहार दिये | उसके बाद शीबा की रानी अपने रहस्यमय साम्राज्य ‘शीबा’ की ओर लौट गयी |
बाइबिल की ‘सेकंड बुक ऑफ़ क्रोनिकल्स’ में भी इस घटना को थोड़े-बहुत परिवर्तन के साथ दोहराया गया है | यहाँ तक की यीशु ने भी कहा कि अरेबिया के दक्षिणी भाग से वो रानी सोलोमन का ज्ञान सुनने आई थी |
शीबा का पूरा व्यक्तित्व रहस्यमय है | शीबा बुद्धिमान और सुन्दर तो थी ही लेकिन कहीं-कहीं उसे जादूगरनी, या ऐसी रानी के रूप में जो किसी को भी अपने रूप सौन्दर्य से लुभा कर अपने वश में कर सकती थी, चित्रित किया गया है |
कहा जाता है कि शीबा की रानी के पैरों पर काफ़ी बाल थे | सोलोमन ने भी शीबा की रानी के बारे में ये सब बातें सुन रखी थी | उसने इस बात की परीक्षा करने की सोची | सोलोमन के आलिशान महल में एक जगह ऐसी थी जिसके फ़र्श पर विचित्र तरह के कांच जड़े हुए थे जिससे ऐसा आभास होता था मानों फ़र्श पर चारो तरफ़ पानी बिखरा पड़ा हो |
सोलोमन, रानी शीबा की आवाभगत के दौरान उसे उस कमरे में भी ले गया | वहां रानी ठिठक गयी और उसने पानी से भीगने से बचाने के लिए अपनी लम्बी स्कर्ट को थोड़ा ऊपर उठाया और सोलोमन ने देखा की रानी के पैरों पर वास्तव में बाल थे | अब तक सोलोमन, जिसने शीबा से विवाह करने का मन लगभग बना लिया था, अपने मन से शीबा से विवाह का विचार निकाल चुका था |
वहीँ एक इथियोपियन महंत, जिसका नाम ‘येत्शक’ था, ने प्रसिद्ध पुस्तक ‘ग्लोरी ऑफ़ द किंग्स’ के हवाले से लिखा है कि सोलोमन ने शीबा की रानी से विवाह किया था और उन दोनों का एक पुत्र भी हुआ जिसका नाम मेनेलिक था | इथियोपियन ये मानते हैं कि रानी ने और उसके पुत्र ने बाद में यहूदी धर्म स्वीकार कर लिया |
मुस्लिम दंकथाओं के अनुसार भी सोलोमन ने शीबा की रानी से विवाह किया था | और रानी के रोमयुक्त शरीर से, कुरूपता के जो भी लक्षण थे उसे हमेशा के लिए दूर किया | बाइबिल में तो शीबा की रानी का नाम, रूप-सौन्दर्य, जाति व देश के बारे में कुछ विशेष नहीं बताया गया है | सेंट मैथ्यू के गोस्पेल में भी यीशु ने उसे दक्षिण की रानी बताया, जो पृथ्वी के सुदूर क्षेत्र से सोलोमन के ज्ञान की परीक्षा लेने आई थी |
अगर हम बाइबिल के राजाओं की प्रथम पुस्तक की बातों को माने तो ईसा से एक हज़ार वर्ष पूर्व, सोलोमन का शासन काल, स्वर्ण-काल था | सोलोमन की सेनायें युफ्रेटस से सिनाई के रेगिस्तान तक और लाल सागर से पलमायेरा तक के मार्गों पर नियंत्रण रखती थी और वहां से गुजरने वाले व्यापारिक जहाज़ों एवं काफ़िलों से कर (Tax) वसूलती थीं | उस समय तक येरुशलम एक काफ़ी प्रसिद्ध नगर हो चुका था और वहां के ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण भी पूरा हो चुका था |
शीबा की रानी और सोलोमन की इस मुलाकात से ऐसा प्रतीत होता है की शीबा अपने साम्राज्य से, भूमध्य सागर के मार्ग द्वारा होने वाले व्यापार के लिए ईसराइल के बंदरगाहों का उपयोग करना चाहती थी जिससे की उसके साम्राज्य से प्रतापी सोलोमन के साम्राज्य का व्यापारिक सम्बन्ध जुड़ सके | लेकिन इसके कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिलते |
एक फ़्रांसिसी लेखक गेरार्ड द नर्वल ने शीबा की रानी को बाल्किस (Balkis) नाम दिया और अपनी कृति ‘वोयेज एन ओरिएंट’ में उसका सुबह की रानी के रूप में वर्णन किया |
शीबा का साम्राज्य धरती पर कहाँ था ये अभी तक पहेली बना हुआ है लेकिन अधिकतर विद्वान इस बात पर सहमत हैं कि दक्षिणी अरेबिया में मारिब के मरुस्थल के पास ही कहीं एक हरे-भरे और खूबसूरत स्थान पर शीबा का साम्राज्य था | किसी समय के साबियन साम्राज्य की राजधानी मारिब आज यमन का एक खूबसूरत और ऐतिहासिक शहर है | कुछ प्राचीन रचनाओं में शीबा की राजधानी लालसागर के किनारे पर स्थित एक प्राचीन अरबी नगर में थी | बुक ऑफ़ इज़कील बताती है कि शीबा के साम्राज्य से अद्वितीय मसालों, दुर्लभ रत्नों, और सोने का व्यापार होता था |
कहा जाता है कि शीबा के बारह भाई थे | उस समय उस क्षेत्र में, राजाओं द्वारा अपने नाम पर अपने राज्य का नाम रख दिया जाता था | प्राचीन लेख बताते हैं कि जिस तरह से शीबा के दो भाइयों, ओफ़िर (Ophir) और हाविला (Havilah) ने अपने नाम पर अपने राज्यों का नाम रखा उसी तरह से शीबा ने भी अपने साम्राज्य का नाम अपने नाम पर रखा | यहाँ पर यह भी महत्वपूर्ण है कि शीबा के भाई और उनका साम्राज्य, इतिहास की अँधेरी, रहस्यमयी गुफ़ा में पूरी तरह से गुम हैं | उस पर भी अनुसन्धान की आवश्यकता है | कहा जाता है कि उसके भाइयों की तुलना में शीबा का नगर साम्राज्य सबसे बड़ा था |
शीबा के साम्राज्य की समृद्धि का मुख्य आधार वहां का व्यापर था | कहीं-कहीं उसके नगर को दो बाग़ों के नाम से पुकारा गया है | कहते हैं कि इन बाग़ों को एक बड़े बाँध द्वारा पानी मिला था | आज से लगभग इक्कीस सौ वर्ष पहले, इतिहासकार डियोडोरस ने शीबा के साम्राज्य की चकाचौंध वाली समृद्धि का वर्णन किया था |
शीबा के निवासियों को फ़रवरी से अगस्त-सितम्बर तक चलने वाली मानसूनी हवाओं का रहस्य मालूम था जिसका उन्होंने अपनी अर्थव्यवस्था के विस्तार के लिए भरपूर फ़ायदा उठाया | शीबा के निवासियों का दक्षिणी और पश्चिमी भारत से भी व्यापार होता था, मुख्य रूप से रेशमी वस्त्रों और मसालों का | वहां के निवासी मुख्य रूप से सूर्य, चन्द्रमा और शुक्र की पूजा करते थे | उनकी शासन व्यवस्था, बेबीलोनियन और सुमेरियन व्यवस्था से काफ़ी मिलती-जुलती थी यानि वहां का सम्राट ही वहां का मुख्य पुजारी भी हुआ करता था |
यद्यपि शीबा के साम्राज्य के अस्तित्व का काल निर्धारण संदेह के घेरे में है, तथापि चारो ओर से रेगिस्तान से घिरा होने की वजह से वो सुरक्षित था | सन 1934 में एक फ़्रांसिसी पत्रकार आंद्रे मलरौक्स (Andre Malraux) ने दक्षिणी अरेबिया के रेगिस्तान के ऊपर अपनी हवाई यात्रा के दौरान कोई बीस मीनारों के साथ मंदिरों को खड़े देखा | उन्होंने इस बात की जानकारी, पेरिस स्थित अपने अख़बार के कार्यालय में भी भेजी लेकिन दुर्भाग्य से उनके इस दावे की बाद में पुष्टि नहीं की जा सकी |
प्राचीन इतिहास में एक चमक के साथ उभरे शीबा की रानी के साम्राज्य का अस्तित्व जितना रहस्यमय है लगभग उतना ही रहस्यमय, शीबा की रानी का सम्मोहक व्यक्तित्व भी है | शीबा की सोलोमन से हुई ऐतिहासिक मुलाकात ने इस रहस्य को और भी दिलचस्प बना दिया है | विश्व के करीब-करीब सभी शास्त्रीय इतिहासकारों, जैसे स्ट्रैबो, हेरोडोटस आदि ने इस घटना का ज़िक्र किया है | दंतकथाओं और ऐतिहासिक तथ्यों में उलझी शीबा की रानी की सच्चाई एक चुनौती की तरह है जिसकी गवाही मारिब के मरुस्थल में पड़े मंदिरों के खँडहर आज भी दे रहे हैं, मानो कह रहे हों कि कभी यहाँ शीबा की रानी का शानदार शहर हुआ करता था……..!