हमारे देश में कुछ ऐसी रहस्यमयी जगहें हैं जिनका रहस्य आज तक अनसुलझा है। इस धरती पर हमसे पहले आये लोगों ने कुछ रहस्यों का ऐसा जाल बुना, जिसको हम आज तक सुलझा नहीं पायें हैं। कभी-कभी इन रहस्यों की थाह न पाने के कारण हम थक हार कर उन्हें छोड़ देते हैं। लेकिन जब बात प्राचीन काल में छिपाई गयी अकूत संपत्ति को पाने की हो तो मामला बड़ा ही दिलचस्प हो जाता है।
कहाँ है यह पहाड़ी खज़ाना
आज हम भारत के उत्तर प्रदेश के एक जिले सोनभद्र की बात करने जा रहें हैं जहाँ एक आदिवासी (?) राजा के द्वारा छिपाया धन आज तक किसी को नहीं प्राप्त हो सका। आइए विस्तार से जानते हैं उस पहाड़ी के बारे में, जहाँ की धरती में सदियों पहले छिपाया सोना आज तक कोई तलाश नहीं कर सका।
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एक प्राचीन पहाड़ी है जिसका नाम है सोन पहाड़ी। यह वही सोन पहाड़ी है जहां कुछ वर्षों पूर्व यह समाचार मिला था कि इस पहाड़ी की जमीन में सोना छिपा हुआ है।
ख़ज़ाने की खुदाई का क्या परिणाम निकला
फिर क्या था लोग-बाग इसकी खुदाई में जुट गए लेकिन बहुत परिश्रम के बाद भी यहां कुछ हाथ न लगा। लेकिन खुदाई में सोना न मिलने का मतलब यह नहीं कि इस जगह सोना नहीं है।
इस पहाड़ी का रहस्य यही है कि इस सोन पहाड़ी की जमीन में सोना शत प्रतिशत है लेकिन कोई इसको ढूंढ नहीं पा रहा है। इस जगह में सोना होने की कहानी नयी नहीं बल्कि 711 ईस्वी से भी अधिक पुरानी है। इसका नाम ही सोन पहाड़ी इसलिए पड़ा क्योंकि इसके अंदर सोना दबा था।
क्या है ख़ज़ाने की कहानी
जब अगोरी क्षेत्र में खरवार आदिवासी राजा बलशाह शासन करता था। उस समय अगोरी किले के बारे में लोगों को यह बात पता चली कि इस किले के अंदर राजा बलशाह ने भारी मात्रा में सोना छिपा कर रखा है।
फिर क्या था यह खबर पाकर सोना पाने की लालसा में चंदेल शासकों ने अगोरी किले पर आक्रमण कर दिया। लेकिन अगोरी के राजा बलशाह को पहले से ही चंदेलों के आक्रमण की खबर मिल चुकी थी।
अगोरी का राजा चुपके से अपने सोने के खजाने में से काफी सारा सोना लेकर कुछ सैनिकों सहित आसपास के जंगलों में छिप गया। लेकिन बाद में अगोरी के राजा को यह पता चला कि आक्रमणकारियों को उसके यहां छिपने की भी खबर मिल चुकी है।
तब खरवार आदिवासी के राजा बलशाह ने अपने साथ लाये ढेर सारे सोने को एक पहाड़ी में जगह-जगह छिपा दिया और वहां से भाग निकले।चंदेल शासकों ने उस पहाड़ी को भी चारों ओर से घेर लिया। इसके बाद उन्होनें छिपाये हुये सोने की बहुत तलाश की लेकिन सोना उनके हाथ न लगा।
उसके बाद ख़ज़ाने का क्या हुआ
उसके बाद अनेक राजाओं ने उस पहाड़ी से सोना प्राप्त करने की कोशिश की, लेकिन आश्चर्य की बात आज तक किसी को सोने का सुराग नहीं मिल सका। आखिर अगोरी के राजा बलशाह ने अपना सोना इस पहाड़ी में किन-किन जगहों में छिपाकर रखा था जिसे आज तक कोई खोज न सका। राजा द्वारा यहां सोना छिपाये जाने के कारण इस पहाड़ी का नाम सोन पहाड़ी पड़ गया।
आदिवासियों के कुलदेवता इस पहाड़ी पर बसते हैं। इस रहस्यमय पहाड़ी की एक खास बात यह भी है कि सोनभद्र जिले के सोन पहाड़ी पर आदिवासियों के कुलदेवता का प्राचीन मंदिर भी है।
आदिवासी समुदाय के लोग आज भी सोन पहाड़ी पर स्थित अपने इन कुल देवता की पूजा करते है। इस पहाड़ी पर पूजा के लिए आने वाले आदिवासी लोगों का यह कहना है कि जब तक इस पहाड़ी के देवता नहीं चाहेंगे तब तक किसी भी व्यक्ति को वह सोना नहीं मिल सकेगा। सच कुछ भी हो लेकिन सोन पहाड़ी के छिपे हुये सोने का रहस्य आज भी अनसुलझा ही हुआ है।
एक दिन फिर होगा कुल देवता का आगमन
सोनभद्र के आदिवासियों का मानना है कि एक दिन हमारे कुल देवता का इस धरती पर फिर आगमन होगा। देवता कब और कैसे आयेगें, यह पता नहीं। लेकिन उनका यह पक्का विश्वास है कि उन आदिवासियों के कुल देवता के आने के साथ ही इस सोन पहाड़ी के रहस्य का उजागर होगा। लोगों का मानना है कि तब इस सोन पहाड़ी का सोना, आदिवासियों के कुल देवता के भव्य मंदिर के निर्माण में ही ख़र्च होगा।