जी हाँ! आज हम आपको ऐसे अजीबो- गरीब पार्क में ले चलते हैं जहाँ अंधेरी रात के समय भूत-प्रेत झूला झूलने लगते हैं। अमेरिका के शहर सैन डिएगो में अल्बर्ट नाम का एक ऐसा रहस्यमय पार्क है़ जहाँ सांझ ढलते ही भूत प्रेतों का साया मंडराने लगता है़। इस पार्क में रात्रि में झूले ऊँचे- ऊँचे हिलते हुये हुये नजर आने लगते हैं।
ऐसा लगता है़ कि कोई पार्क में झूला झूल रहा है़। लेकिन रहस्य की बात यह है़ कि झूलने वाला नजर नहीं आता है़। पहले लोगों ने सोंचा शायद झूला हवा से हिल रहा हो। लेकिन शांत हवा में भी झूलों की हलचल लोगों को हैरानी में डाल देती है़। इस पार्क में होने वाली यह रहस्यमय घटना बरसों से कही-सुनी जा रही है़। स्थानीय लोग इस भूतिया पार्क में भूतों के झूला झूलने की इस घटना को तीस साल से अधिक पुरानी बताते हैं।
आइये जानते है इस पार्क में होने वाली भूतिया घटनायें कब से शुरू हुई
गर्मियों के दिन थे। यह मई साल 1988 का किस्सा है़। उस रात रोज की तरह इस अल्बर्ट पार्क का चौकीदार जोसफ अपने कमरे में सो रहा था कि अचानक उसकी नींद टूट गयी। उसकी नींद टूटने का कारण बाहर से आने वाली आवाजें थीं। जिसके कारण चौकीदार की नींद टूट गयी थी। चौकीदार जोसेफ को बाहर पार्क से किसी के चलने और बोलने की आवाजें आ रहीं थी।
चौकीदार जोसेफ ने सोचा कि शायद यह उसका भ्रम होगा। वह फिर से सोने की कोशिश करने लगा। लेकिन अब उसके आँखो की नींद उड़ चुकी थी। थोड़ी देर बाद फिर वही तरह-तरह की आवाजें पार्क के मैदान से आने लगी। अब चौकीदार जोसेफ का कौतूहल जागा कि इतनी रात गये पार्क में कौन घुस आया? कहीं कोई आवारा पशु तो नहीं हैं?
चौकीदार जोसेफ ने अपनी टॉर्च उठायी तो उसकी नजर दीवार पर लगी घड़ी पर गयी। रात के 1:10 बजे का समय हो रहा था। चौकीदार जोसेफ अपने कमरे से बाहर निकला। बाहर मैदान में कुत्ते भी भौंक रहे थे। धीरे-धीरे पार्क का चौकीदार उस ओर बढ़ रहा था जिस ओर से लगातार आवाजें आ रही थीं।
चौकीदार का डर उस पर हावी हो रहा था
चौकीदार जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा था उसके मन में एक डर कायम होता जा रहा था कि कहीं जंगली पशु तो पार्क में नहीं घुस आयें हैं। दरअसल हड़बड़ाहट में वह अपनी लाठी और हथियार भी कमरे में भूल आया था। लेकिन जब चौकीदार जोसेफ ने पार्क के लॉन में जो कुछ देखा तो आश्चर्य चकित रह गया।
उसने देखा कि पार्क के दो झूले अपने आप ऊँचे- ऊँचे हिल रहें हैं। जबकि उस समय हवा भी नहीं चल रही थी। ऐसा लग रहा था कि कोई उन पर बैठ कर झूला झूल रहा हो। लेकिन दोनों झूलों के झूलने वाले व्यक्ति नजर नहीं आ रहे थे। उस चौकीदार ने यह भी देखा कि पार्क के उन दोनों झूलों के अतिरिक्त अन्य सभी झूले शांत थे।
उन दोनों झूलों के अलावा पार्क के किसी भी झूले में किसी भी प्रकार की कोई हलचल नहीं थी। फिर यदि वे झूले हवा के कारण हिलते तो पार्क के सभी झूले हिलते हुये दिखाई देते। लेकिन पार्क के केवल दो झूलों का हिलना चौंकाने वाला था। चौकीदार जोसेफ ने एक खास बात यह भी देखी कि पार्क के कुत्ते हिलते हुये झूले की तरफ ही देख कर भौंक रहे थे।
ऐसा लग रहा कि पार्क के कुत्तों को झूले पर कोई बैठा हुआ नजर आ रहा था जिसे चौकीदार जोसेफ नहीं देख पा रहा था। अब चौकीदार जोसेफ ने जो कुछ अनुमान लगाया, उसके बाद तो उसकी घिघ्घी बंध गयी। उसके कपड़े पसीने से भीग गये। वह समझ गया था कि निश्चित रूप उन दोनों झूलों पर कोई भूत-प्रेत झूल रहा है़, जो उसे नजर नहीं आ रहा है़।
वह भागकर वापस अपने कमरे में आ गया और कमरा बंद करके लेट गया। लेकिन उन अदृश्य भूतों के झूला झूलने की बात उसके मन से हट नहीं रही थी। किसी तरह रात बीती। चौकीदार जोसेफ ने सुबह होते ही रात में झूला खुद ही चलने का किस्सा सबको सुनाया। लेकिन लोगों ने यही कहा कि कोई भूत प्रेत नहीं होता। यह चौकीदार जोसेफ के केवल मन का भ्रम है़। इसलिए उस चौकीदार के कुछ मित्र अगले दिन पार्क में रात में रुके।
ताकि उन्हें सच का पता लग सके। उस दिन जैसे ही रात का एक बजा, पार्क में किसी के दौड़ने, हंसने और फिर झूलों के चलने के आवाजें आने लगीं। चौकीदार जोसेफ के मित्रगण दबे पाँव झूलों की तरफ गये। उन्होंने भी देखा कि पार्क के दो झूले अपने आप चल रहें थे। जबकि अन्य झूलों में कोई हलचल नहीं थी। अब चौकीदार जोसेफ के मित्रों को विश्वास हो गया कि इस पार्क में भूत प्रेत का वास हो गया है़।
इससे पहले की जोसेफ के दोस्त वहाँ से हटते वहाँ हंसने की आवाजें आने लगीं। अब वहाँ उपस्थित सारे मित्र डर के मारे काँप उठे। वे सभी सर पर पैर रखकर पार्क के बाहर की तरफ भागे और बाहर आकर ही साँस ली। उन सभी को विश्वास हो गया कि अल्बर्ट पार्क में रात को भूत -प्रेत आतें हैं और हंसते- खेलते हैं। धीरे-धीरे यह खबर जंगल के आग की तरह पूरे शहर में फैल गयी।
आज इस रहस्यमय अल्बर्ट पार्क को भूतों के झूला झूलने वाले पार्क के नाम से जाना जाता है़। रात के समय इस पार्क के आस-पास गहरा सन्नाटा पसर जाता है़। लोग-बाग इस अल्बर्ट पार्क वाली रोड से गुजरते तक नहीं। अब कोई चौकीदार रात के समय इस पार्क में नहीं रुकता। कुछ वर्ष पूर्व कुछ शरारती लोगों ने पार्क के इस रहस्यमयी दृश्य को देखने की कोशिश की।
वे दो मित्र थे। उन्होंने प्रोग्राम बनाया कि आज की रात वह इस पार्क में रुकेंगे और देखेंंगे कि किस तरह भूत -प्रेत झूला झूलते हैं। रात के समय वे दोनों मित्र बिना किसी को बताये पार्क में प्रवेश कर गये। रात मे उन्हें भी पार्क में तरह-तरह की आवाजें सुनाई देनें लगीं। फिर पार्क के झूले अपने आप ऊँचे -ऊँचे उठने लगे।
उन दोनों में से एक मित्र ने शरारतवश उन चलते हुये झूलों में एक झूले को रोकने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही उसने उस झूले की जंजीर पकड़ी कि उसे ऐसा लगा कि उसका हाथ उसी झूले से चिपक गया हो। उसे पता लग रहा था कि किसी ने उसका हाथ कसके पकड़ लिया हो। उसकी अपने हाथ को छुड़ाने की तमाम कोशिशें काम नहीं आ रही थीं।
वह डर कर चीखने लगा। अब उसे समझ में आ रहा था कि आज उसने भूतों से पंगा ले लिया है़। उसने अपने मित्र को पुकारा । मित्र दौड़ता हुआ आया और उसने गॉड का नाम लेते हुये अपने मित्र को पकड़कर खींचा। किसी तरह मित्र भूत के चंगुल से बाहर निकल आया था। अगली सुबह पार्क के भूतों से दो मित्रों के पंगा लेने का किस्सा चारों ओर फैल गया।
गवर्नमेंट सख्त हो गयी। प्रशासन ने इस पार्क के मुख्य द्वार पर ही एक सूचना लगा दी कि दिन ढलने के बाद इस पार्क में आना मना है़। अब रात की कौन कहे, दिन में भी लोगों ने इस पार्क में आना छोड़ दिया था। लोग डरते थे कि यदि दिन में भी अल्बर्ट पार्क के भूतों से सामना हो गया तो क्या होगा!
कुछ लोग इस पार्क में भूत होने की घटना को एक पुरानी दुर्घटना से जोड़कर देख रहें थे। बताते हैं कि बहुत पहले एक बार इस पार्क में दो प्रेमी युगल ने पॉइज़न खाकर सुसाइड कर लिया था। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में यह लिखा था कि हम डिप्रेशन के कारण मौत को गले लगा रहें हैं। लोगों का मानना है़ कि हो न हो अल्बर्ट पार्क में यही प्रेमी युगल की आत्माएं वास कर रहीं हैं।
जिनकी आहट लोगों को हँसने बातचीत करने, दौड़ने और झूला झूलने की आवाज के रूप में सुनाई देती है़। जो कोई भी पर्यटक इस शहर में आता है़ वह कौतूहलवश इस अल्बर्ट पार्क को अवश्य देखने जाता है़। समाचार यह भी है़ कि अल्बर्ट पार्क के दोनों भुतहे झूलों को निकलवाकर आग में जलवा दिया गया है़। कहा जाता है़ कि अब पार्क से आवाजें आना बंद हो गयीं हैं। अब धीरे-घीरे लोगों का डर इस पार्क के प्रति कम हो रहा है़। गवर्नमैंट को विश्वास है़ कि एक दिन फिर अल्बर्ट पार्क में घूमने -फिरने लोगों की चहल-पहल शुरू हो जायेगी।