सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, जैसा की नाम से ही स्पष्ट है़ कि यह भक्ति का एक परम सिद्ध मार्ग है़। यदि इस धरती पर रहते हुये किसी भक्त को देवी की सच्ची कृपा प्राप्त करनी है़ और एक सिद्ध पुरुष की तरह अलौकिक शक्तियों का ज्ञाता बनना है़ तो इसके लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक अकाट्य उपाय है़। जिसकी साधना सरल तो नहीं है़। लेकिन यदि दृढ़ संकल्प होकर इस स्तोत्र की साधना की जाये तो उसकी सिद्धि अवश्य ही प्राप्त की जा सकती है़।
पुराणों में इस सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की महिमा के संबंध में विस्तार से व्याख्या की गयी है़। क्योंकि यह वह मार्ग है़ जो एक साधारण मनुष्य को असाधारण बना देता है़। कहते है़ कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को अपने जीवन में आत्मसात कर लेने के पश्चात कोई भी मनुष्य अपना ही भला नहीं करता बल्कि वह अपने संपर्क में आने वाले अन्य कई लोगों को भी लाभ पहुँचा सकता है़।
जिसका कारण यह है़ कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने वाले में एक अदभुत दैवीय शक्ति उत्पन्न हो जाती है़। विशेष बात यह भी है़ कि साधक कोई भी चमत्कार कर सकने में भी सक्षम हो जाता है़। सच्ची लगन और श्रध्दा भाव से सिद्ध कुंजिका स्तोत्र जाग्रत हो उठता है़। जिसके परिणाम स्वरूप कोई भी साधक वह सब कुछ पा लेता है़ जिसे वह पाने की इच्छा रखता है़।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र माँ दुर्गा की कृपा दिलाता है़
देवी माँ को प्रसन्न करने के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक बहुत प्रभावशाली मंत्र है़। पुराणों में उल्लेख है कि यह अद्भुत मंत्र माँ दुर्गा की अनुकंपा प्रदान करने वाला है। भगवान शिव के मुँह से निकला हुआ यह मंत्र, साधक को देवी कृपा से परिपूर्ण कर देता है। इस सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के आरंभ में भगवान शिव ने स्वयं कहा है कि इस मंत्र के जाप के परिणाम स्वरूप माँ दुर्गा की सिद्धि की प्राप्ति होती है।
पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने के पश्चात दुर्गा कवच, कीलक स्तोत्र, ध्यान, सूक्त एवं अर्चन की भी सिद्धि प्राप्त हो जाती है़। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ सिद्ध होने के पश्चात साधक एक अलौकिक व्यक्ति बन जाता है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के अनेक रहस्य हैं जिसके सिद्ध होने के पश्चात उन रहस्यों का धीरे- धीरे आभास होने लगता है़।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की साधना से साधक को घटनाओं का पूर्वाभास होने लगता है
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के जाग्रत हो जाने के पश्चात देवी साधक को किसी भी घटना का पूर्वाभास होने लगता है अर्थात जो घटना भविष्य में होने वाली होती है उसकी पूर्ण जानकारी सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के साधक को होने लगती है। इसीलिए इस सिद्धि के पश्चात साधक एक सच्चे भविष्यवक्ता के रूप में निखर कर सामने आता है। क्योंकि उसकी अलौकिक दृष्टि वह सब कुछ देखने लगती है़ जो सूक्ष्म संसार में घटित होता है़। वास्तव में साधक को दैवीय शक्ति की प्राप्ति हो जाती है।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की साधना से साधक का मुख सम्मोहित कर देने वाला हो जाता है
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के प्रभाव से साधक के चेहरे पर दैवीय प्रकाश आ जाता है। जिसके कारण उसका चेहरा हर संपर्क में आने वाले व्यक्ति के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप साधक का मुख मंडल हर किसी को सम्मोहित कर देने वाला बन जाता है़।
उसकी वाणी हर किसी को प्रभावित करने वाली हो जाती है़
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के प्रभाव से साधक की वाणी कर्ण प्रिय हो जाती है। इसका कारण यह है़ कि साधक के सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के फलीभूत होने के पश्चात उसकी प्रभावशाली वाणी हर किसी को अपनी ओर खींचती है़। उसके संपर्क में आने वाला हर व्यक्ति साधक की बात ध्यान पूर्वक सुनता है़ और उस पर अमल करने के लिए बाध्य हो जाता है़। तभी तो लोग ऐसे साधकों से मिलने के पश्चात उनसे प्रभावित हो जाते हैं और उन्हें कभी नहीं भूलते।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का साधक मरते हुये व्यक्ति में जान फूंक सकता है़
ऐसा कहा जाता है कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के साधक में वह शक्ति आ जाती है़ कि वह किसी भी बीमार अथवा भूत-प्रेत या बाधा से युक्त व्यक्ति को उससे मुक्ति दिला सकता है़। इसीलिए लोग -बाग सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के साधक के निकट अपनी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए जाते हैं और अपनी परेशानियों से निजात पाने का मार्ग पा जाते हैं। कभी ऐसा भी देखने में आता है़ कि कोई मरणासन्न व्यक्ति दूसरों का सहारा लेकर साधक के पास आता है़ और मंत्रों की शक्ति पाकर अपने पैरों पर चल कर वापस अपने घर जाता है़।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का साधक आजीवन युवा बने रहने का रहस्य पा लेता है़
स्तंभन जैसी अनेक शक्तियों को प्राप्त कर लेने के कारण सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के साधक को आजीवन युवा बने रहने की शक्ति प्राप्त हो जाती है़। जिसके कारण उसके चेहरे पर एक अलौकिक तेज सदा बना रहता है़। इसीलिए तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का साधक शीघ्र कभी रोग एवं किसी बाधा से ग्रस्त नहीं होते। तंत्र-मंत्र विज्ञान कहता है़ कि ऐसे साधकों का शत्रु भी कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
साधक मोहित कर सकता है़
पौराणिक आख्यानों के अनुसार सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के साधक को मोहित करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है़। जिसके कारण वह पहले से अधिक प्रभावशाली बन जाता है़। वह किसी को भी अपने वश में कर सकता है़। कहते हैं कि यह सिद्ध साधक समाज के बीच अत्यंत लोकप्रिय व्यक्तित्व बनकर उभरते हैं। लोग घंटो ऐसे साधकों की वाणी बड़े मनोयोग से सुनते रहते हैं और उस वाणी के सम्मोहन में इस प्रकार खो जाते हैं कि अपनी सुध-बुध भूल जाते हैं।
साधक का श्राप भयभीत कर देने वाला होता है़
यदि कोई उन्हें अकारण या शत्रुता वश सताता है या उन्हें अपूर्णनीय क्षति पहुँचाने का प्रयास करता है तो उन विपरीत परिस्थियों में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के साधक क्रोधित भी हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में उसके द्वारा श्रापित मानव को अनेक विकट बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है़। क्योंकि दैवीय कृपा प्राप्त साधकों से तो महाघनघोर पिशाच और वैताल भी दूर भागते हैं और सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के साधक के चारों तरफ एक दैवीय प्रभाव उत्पन्न हो जाता है़।