जी हाँ, दरअसल अधिकतर विवाह उसी व्यक्ति से होता है जो पूर्व के किसी जन्म में हमारे सबसे अधिक नजदीक रहा होता है। किन्तु इसका मतलब यह बिलकुल भी नहीं लगाया जा सकता कि पूर्व जन्म का वो व्यक्ति उस जन्म में आपका बहुत प्रिय ही रहा होगा।
हो सकता है कि आपको हमारी इस बात पर आसानी से विश्वास न हो। लेकिन यह एक रहस्यमय सच है कि विवाह एक ऐसा बंधन है जिसमें आप अपने पूर्व जन्म के संबंधी या मित्र से जुड़ जाते हैं।
प्रकृति की यह रहस्यमय व्यवस्था है। सोचिए ऐसा क्यों होता है कि जब आप अपने पुत्र या पुत्री के विवाह के लिए योग्य वर या वधु को ढूंढते हैं तो कभी-कभी तो रिश्ते जल्द मिल जाते हैं। तो कभी-कभी रिश्ते मिलने में कई सालों लग जाते हैं। क्योंकि प्रकृति आपको उस व्यक्ति तक ले जाना चाहती है जिससे आपका लड़का या लड़की पूर्व जन्म में बहुत करीब थे।
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि वैवाहिक रिश्ते होते-होते उसमें किसी तरह की अड़चन के आ जाने के कारण रिश्ता नहीं हो पाता है। क्योंकि आपकी अभी तक पूर्व जन्म के व्यक्ति की तलाश पूरी नहीं हुई होती है।
ऐसा जरूरी नहीं है कि की वैवाहिक सूत्र में बंधने वाले व्यक्ति से पूर्व जन्म में आपका सबंध पति या पत्नी का ही हो, वह व्यक्ति पूर्व जन्म में आपका घनिष्ठ मित्र या अन्य संबंधी अथवा नाते रिश्तेदार भी हो सकता है।
इसीलिए तो विवाह सूत्र में बंधने के बाद एक महिला या पुरुष आसानी से उस दूसरे परिवार को स्वीकार कर लेता है या कर लेती है। क्योंकि उस व्यक्ति का आपसे पूर्व जन्म का नाता होता है।
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बहुत खूबसूरत वर या वधू रिश्ता आने के बाद भी आप उस दूसरे किसी रिश्ते के लिए हाँ कर देते हैं जो सुंदर नहीं है। क्योंकि उससे पूर्व जन्म का कोई जुड़ाव आपको अपने नये जीवन में लाने के लिए अंदर से पुकार रहा होता है।
इसीलिए उस व्यक्ति के सुंदर न होने के बावजूद भी आप उसे दिल से पसंद करने लगते हैं। यही बात प्रेम संबंधो में भी होती है जो बाद में विवाह में बदल जाती है। सोचिए कोई अनजान व्यक्ति क्यों अचानक आपको अच्छा लगने लगता है क्यों कि यह पूर्व जन्म का खिंचाव है। जो आपको उस नये व्यक्ति के सम्मोहन में बाँध देता है।
वैवाहिक रिश्ते जोड़ने के लिए कितनी भी ऑनलाइन या ऑफलाइन सेवाएं उपलब्ध हो जाएं लेकिन ये माध्यम आपको केवल अपने पूर्व जन्म के साथी तक पहुंचाने में आपकी सहायता कर सकते हैं। लेकिन विवाह करने के लिए सारी स्थितियां तभी अनुकूल होती हैं जब आपको अपना पूर्व जन्म का संबंधी मिल जाता है।
एक बड़ी अजीबो-गरीब घटना है जिससे यह पता चलता है कि प्रकृति किस प्रकार पूर्व जन्म के लोगों को आपस में मिलाती है। शिवम श्रीवास्तव नाम के व्यक्ति मुरादाबाद के रहने वाले थे।
वह ट्रेन से किसी काम से वाराणसी जा रहे थे कि रास्ते में लखनऊ के आगे किसी अन्य ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने से उनकी ट्रेन को लखनऊ में ही कई घंटों के लिए रोक दिया गया। क्योंकि दुर्घटनाग्रस्त रेलवे लाइन मार्ग पर काम चल रहा था।
ट्रेन से वाराणसी जाने वाले शिवम श्रीवास्तव को भूख लग आयी थी। उन्होंने सोचा कि अभी उनकी ट्रेन तो काफी देर रुकेगी। क्यों न रेलवे स्टेशन से बाहर जाकर चारबाग स्थित किसी अच्छे होटल में खाना खाया जाए।
यह सोचकर वह अपना बैग लेकर ट्रेन से उतर गए। लखनऊ स्टेशन से बाहर निकलकर सड़क पार कर वह एक अच्छे होटल में जा पहुंचे। वहाँ उन्होंने अपने लिए खाने का आर्डर दिया।
होटल में एक बुजुर्ग व्यक्ति उनके करीब ही खाना खा रहे थे कि अचानक उनके बैग से एक फोटो निकल कर शिवम श्रीवास्तव के पास आकर जा गिरी। शिवम श्रीवास्तव ने वह गिरी हुई फोटो उठाई।
वह फोटो किसी लड़की की थी, जो देखने में बहुत सुंदर थी। शिवम श्रीवास्तव उस गिरी हुई फोटो को उस बुजुर्ग व्यक्ति को देने लगे क्योंकि वह फोटो उन्हीं के बैग से निकलकर गिरी थी।
जब शिवम श्रीवास्तव ने उस फोटो को उन बुजुर्ग व्यक्ति को दी तो उन्होंने बताया कि यह फोटो मेरी पुत्री की है। जिसके विवाह के लिए मैं योग्य वर ढूंढ रहा हूं। उन्होंने यह भी बताया कि हम लोग कायस्थ परिवार से हैं।
मेरी यह बेटी जिसका की यह फोटो है, मंगली है। इसलिए इसके लिए मंगले वर की ही तलाश है। जिसके लिए ही मैं यहां लखनऊ में आया था। पिछले 2 साल से मैं अपनी पुत्री के विवाह के लिए योग्य वर ढूढ़ रहा हूं। लेकिन कहीं बात नहीं बन रही है।
ऐसा कहते-कहते उन बुजुर्ग व्यक्ति की आँखे छलछला उठीं। उन बुजुर्ग व्यक्ति की बातें सुनकर शिवम श्रीवास्तव नामक उस नवयुवक ने जो कुछ कहा, वह आश्चर्यजनक था।
शिवम श्रीवास्तव ने कहा कि मैं भी कायस्थ परिवार से हूँ और मंगली भी हूं। अभी मेरा विवाह नहीं हुआ है। क्या मैं आपकी पुत्री से विवाह कर सकता हूं? मुझे यह फोटो पसंद है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वह रिश्ता हो भी गया।
अब आप जरा गंभीरता से विचार कीजिए कि प्रकृति द्वारा इन शिवम श्रीवास्तव को अपने पूर्व जन्म का साथी मिलाना था इसीलिए उनकी ट्रेन काफी समय के लिए लखनऊ स्टेशन पर रुक गई और वह खाना खाने के लिए उसी बुजुर्ग व्यक्ति के खाने वाले होटल में पहुँचे।
उन बुजुर्ग सज्जन के बैग से फोटो निकलकर गिरना और उसका शिवम श्रीवास्तव तक पहुंचना क्या एक अदभुत संयोग नहीं था। क्योंकि यहां प्रकृति पूर्व जन्म के संबंधियों को आपस में मिलाना चाहती थी। ऐसी एक नहीं अनगिनत कहानियाँ हमारे चारों ओर बिखरी हूई हैं। आप मानिये न मानिये यह आपकी मर्जी। लेकिन यह सच है कि पूर्व जन्म का साथी, नये जन्म में किसी नये रूप में ही सही, मिलता जरूर है।