राज राजेश्वरी माँ त्रिपुर सुंदरी मंदिर, जहाँ मूर्तियाँ बोलतीं हैं

राज राजेश्वरी माँ त्रिपुर सुंदरी मंदिर, जहाँ मूर्तियाँ बोलतीं हैं जिस किसी ने भी जाना यह सच, कि मूर्तियाँ बोल पड़ती है़ इस मंदिर की; वह इस माँ के द्वार की चौखट से हटने को तैयार नहीं है़, क्योंकि उन्हें इंतजार है़ कि किसी भी पल देवी माँ उसका नाम पुकारेंगी।

यह अद्भुत मूर्तियां हमारे ही देश की है़ जहाँ भक्त अपनी सच्ची भक्ति से मूर्ती में भी जान फूंक देते हैं, जिसके कारण वे बोलने लगतीं हैं। यह अविश्वसनीय सच अपने ही देश के एक प्रसिद्ध मंदिर का है़ जहाँ सदियों से लगातार चलने वाली सच्ची पूजा ने उस मंदिर में चमत्कार उत्पन्न कर दिया है़।

बल्कि यह कहा जाना चाहिए कि अपने भक्तों की अदभुत श्रध्दा देखकर देवी माँ स्वयं इस मंदिर में जीवंत स्वरूप में विद्यमान हो गयीं हैं। यह मंदिर उस सवाल का जवाब है़ कि क्या वास्तव में भगवान हैं? क्या उनका अस्तित्व है़?

ईश्वर के यहाँ सजीव दर्शन होते हैं। कहते हैं कि रात के समय इस मंदिर के पट बंद हो जाने पर यहाँ की मूर्तियाँ आपस में बातें करने लगतीं हैं। जिस किसी ने भी इस सच को अपने कानों से सुना वह हैरान रह गया।

आइये जानते हैं कि यह चमत्कारी मंदिर कहाँ है़? इस मंदिर की मूर्तियों के बोलने के पीछे का सच क्या है़? ऐसा कौन सा कारण है़ जिसकी वजह से इस मंदिर में देवी माँ के यहाँ होने की अनुभूति होती है़।

कहाँ पर है़ यह अदभुत मंदिर

बोलने वाली मूर्तियों का यह अदभुत मंदिर हमारे देश के बिहार राज्य में डुमरांव नामक स्थान पर स्थित है़। इस प्रसिद्ध मंदिर को राज राजेश्वरी माँ त्रिपुर सुंदरी मंदिर के नाम से जाना जाता है़। यह मंदिर बहुत प्राचीन है़।

कुछ वामपंथी इतिहासकारों के अनुसार यह मंदिर चार सौ साल से भी अधिक पुराना है़, किन्तु वास्तविकता इससे कहीं अलग है। यह मंदिर हज़ारों वर्ष पुराना हो सकता है। इस मंदिर का भवन और दीवारें इस बात की प्रमाण हैं कि पुरातन काल में देवी माँ का यह धाम भक्तों का प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहा होगा।

किसने स्थापित किया यह माँ त्रिपुर सुंदरी मंदिर

इस मंदिर की स्थापना के संबंध में कुछ निश्चित प्रमाण नहीं मिलतें हैं। ऐसा कहा जाता है़ कि इस मंदिर का निर्माण किसी सिद्ध तांत्रिक ने कराया था। उसका यह स्वप्न था कि यह स्थान बिहार राज्य में देवी माँ की आराधना का प्रमुख केंद्र बने। कहते हैं कि उस तांत्रिक का यह सपना सच हुआ और देवी माँ ने प्रकट होकर अपने भक्त को अनेक वरदान दिये।

तंत्र- मंत्र की साधना केंद्र था कभी यह स्थान

प्राचीन काल मे राज राजेश्वरी माँ त्रिपुर सुंदरी मंदिर, तंत्र -मंत्र सिद्धि का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। यहाँ देश -विदेश के दूर- दूर से देवी माँ के साधक अपनी तांत्रिक शक्ति जगाने के लिए महीनों और कभी- कभी तो वर्षों तक माँ की भक्ति में तल्लीन रहतें थे। तरह -तरह के जानवरों की बलि इस मंदिर में दी जाती थी।

चारों तरफ तंत्र- मंत्र के स्वर से पूरा वातावरण गूंजता रहता था। उस समय हर तांत्रिक के मन में इस बात की इच्छा अवश्य रहती थी कि यदि वह यहाँ इस मंदिर में आकर साधना करें तो निश्चय ही उस पर देवी माँ की कृपा हो जायेगी। इसीलिए प्राचीन काल से ही यह देवी का धाम तंत्र -मंत्र की साधना का प्रमुख स्थान रहा है़।

कौन हैं इस मंदिर की देवी

इस मंदिर में कई देवियों की अदभुत मूर्तियाँ स्थापित है़, जिन्हें देखकर वास्तव में लगता है़ कि वे मूर्तियाँ कभी भी बोल सकतीं हैं। इस मंदिर में देवी महामाया, दस महाविद्याओं में से दक्षिणेश्वरी राज राजेश्वरी, त्रिपुर सुंदरी माँ विराजमान हैं।

इनके अतिरिक्त यहाँ स्थित अनेकों मूर्तियाँ इस धाम को मंगलकारी बना रहीं हैं। यहाँ प्राचीन काल से ही देवी माँ अपने भक्तों पर अपनी कृपा की वर्षा कर रहीं हैं।

इस मंदिर में देवी माँ को प्रसन्न करने के लिए भक्तगण सप्तशती का पाठ करते हुये नज़र आते हैं। इस मंदिर के पुजारियों का कहना है़ कि देवी माँ के इस आस्था के धाम में जो कोई भी भक्त माँ को सच्चे मन से पुकारता है़ तो माता उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करतीं हैं ।

क्या है़ इस मंदिर कीअद्भुत विशेषता

ऐसा कहा जाता है़ कि यहाँ की देवी की मूर्तियाँ मंदिर के पट बंद हो जाने पर आपस में बातचीत करतीं हैं। इस सच के रहस्योद्घाटन की कहानी बड़ी दिलचस्प है़। कहते हैं कि एक बार इस मंदिर के पुजारी रात को गहरी नींद में सो रहे थे कि अचानक उन्हें किसी के बात-चीत करने की आवाज सुनाई दी।

वह हड़बड़ा कर उठे। उन्होंने सोंचा कि इतनी रात कौन बात-चीत कर रहा है? उन्होंने चारों तरफ उस आवाज का पीछा किया। लेकिन कोई भी नजर नही आया। वह वापस अपने मंदिर में आ गए तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। दरअसल वह आवाज मंदिर के अंदर से ही आ रही थी। उन्होंने मंदिर के बंद दरवाजों पर अपने कान लगाये तो उनका यह अनुमान सच निकला।

बातचीत की आवाज मंदिर में से ही आ रही थी। पुजारी ने मंदिर के दरवाजों को खोल कर देखा कि कहीं कोई इस मंदिर के अंदर तो नहीं बंद हो गया है, लेकिन मंदिर में कोई नहीं था तब उन्हें पता चला कि यह मंदिर में स्थापित देवियों की मूर्तियाँ ही आपस में बातचीत कर रहीं थीं।

लेकिन वे आपस में क्या बोल रहीं थीं यह अस्पष्ट था। सुबह होते ही उन्होंने यह चमत्कार सभी लोगों को बताया उसके बाद अन्य लोगों ने भी इस बात का आभास किया कि इस मंदिर की देवियाँ आपस में बात चीत करती हैं।

इस मंदिर के रहस्य पीछे क्या कारण है़

बिहार के डुमरांव स्थित इस अदभुत मंदिर के मूर्तियों के बोलने के पीछे देवी उपासकों का यही मत है कि इस प्राचीन मंदिर में घोर तंत्र -मंत्र की शक्तियाँ आज भी विद्यमान है जिसके कारण यहाँ चमत्कार होते हुए नजर आते हैं। बोलती हुई मूर्तियों के पीछे का सच जानने के लिए वैज्ञानिको ने भी इसके कारणों को जानने का प्रयास किया, लेकिन किसी को कोई कामयाबी नहीं मिली। वैज्ञानिक भी इस चमत्कार की सत्यता मानने के लिए बाध्य हैं।

नवरात्र में यहाँ मेला लगता है

राज राजेश्वरी माँ त्रिपुर सुंदरी मंदिर में नवरात्र के दिनों में भक्तों की भारी भीड़ दिखाई देती है। देवी के इस धाम में आम और खास भक्तों का जमघट नजर आता है। यहाँ देवी माँ के भक्त जहाँ तांत्रिक साधना करते है। वहीं दूसरी ओर सप्तशती के स्वरों से पूरा डुमरांव गूंजता रहता है।

सबकी बिगड़ी बनाने वाली यह माता वास्तव में बहुत कृपालु हैं। इस मंदिर की बोलने वाली मूर्तियाँ संभवतः अपने भक्तों के कष्टों के समाधान की चर्चा करतीं हैं। वे वह दयालु माँ हैं जो अपने लालों को सदा प्रसन्न देखना चाहती हैं।

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