उस दिन सोनम के हसबैंड अपनी दुकान पर चले गये थे और बच्चे स्कूल। वह घर में अकेली थी। सोनम अपने घर के कामों में व्यस्त थी। वह कोई गीत गुनगुनाती हुई घर की साफ-सफाई कर रही थी कि तभी उसे बाहर से किसी फेरी वाले की आवाज सुनाई दी ‘साड़ी ले लो… साड़ी।’ सोनम के पास साड़ियों की कोई कमी नहीं थी।
हर तीज-त्योहार पर उसका हसबैंड अनिल एक सुंदर साड़ी उसके लिए उपहार स्वरूप अवश्य लाता था। सोनम का वैसे भी घर से बहुत कम निकलना हो पाता था। इसलिए सोनम के पास कुछ साड़ियाँ नयी की नयी रखी थी। साड़ी की जरूरत न होने के कारण सोनम ने फेरी वाले की आवाज में कोई दिलचस्पी नहीं ली। वह अपना काम करती रही।
लेकिन वह फेरी वाला तो सोनम के घर के सामने ही खड़ा हो गया और साड़ी ले लो …फैंसी साड़ी…ले लो की रट लगाने लगा। सोनम ने देखा कि जब वह फेरी वाला उसके घर के सामने से जाने को तैयार ही नहीं है तो उसे मना करने के लिये उसने अपने मकान की खिड़की खोली और जब उसने उस फेरी वाले को देखा तो हैरान रह गयी।
वह व्यक्ति फेरी वाला तो लग ही नहीं रहा था। बड़ी-बड़ी दाढ़ी मूँछ वाला वह व्यक्ति बहुत डरावना लग रहा था। उस फेरी वाले ने जाने कौन सा मंत्र पढ़ कर सोनम की तरफ फेंका कि न चाहते हुये भी उसने अपने घर का दरवाजा खोल दिया।
फेरीवाला एक-एक करके सोनम को साड़ियाँ दिखाने लगा। सोनम को एक साड़ी पसंद आ गयी। लेकिन वह उसे बहुत महंगी लग रही थी। सोनम ने फेरी वाले से कहा मेरे पास इतने रुपए नहीं है कि मैं यह साड़ी ले पाऊँ। ले जाइये अपनी साड़ियाँ, मैं नहीं खरीद पाऊंगी। लेकिन वह फेरी वाला तो साड़ी बेचने के लिए ठान कर ही आया था।
उसने कहा कि यह साड़ी वैसे तो दो हजार रुपये की है, लेकिन आपके पास जितने भी रुपए हैं दे दीजिए। सोनम ने कुछ सोच कर कहा कि मेरे पास तो केवल पाँच सौ रुपये हैं। यदि यदि इतने रुपए में साड़ी बेचना है तो तो दे जाओ। वह फेरी वाला दो हजार वाली साड़ी केवल पाँच सौ रुपये में देने के लिए मान गया।
सोनम को आश्चर्य हुआ कि यह फेरी वाला दो हजार वाली साड़ी पाँच सौ रुपये में देने के लिये कैसे राजी हो गया। कहीं इस साड़ी में कोई खोट तो नहीं है। यह सोंचकर जैसे ही उस साड़ी को सोनम ने छू कर देखना चाहा, वह फेरी वाला क्रोधित हो गया। अपनी आँखें निकाल कर कहा, “नहीं… अभी इस साड़ी को मत छूना, मेरे जाने के बाद इस साड़ी को छू कर देखना।”
सोनम ने पूछा “ऐसा क्यों?” फेरी वाला पहले सकपकाया कि सोनम के इस सवाल का क्या जवाब दे फिर बोला “मुझे जरा जल्दी है साड़ी का दाम दो, मैं जाऊँ।” उस फेरी वाले का स्वभाव सोनम को कुछ अजीबोगरीब लगने लगा था। वह घर पर अकेली थी, इसलिये उस फेरी वाले से अधिक बहस न करते हुये उसकी साड़ी के दाम दे दिये ताकि वह यहाँ से चलता बने।
उस फेरी वाले के जाने बाद सोनम ने सबसे पहले अपने घर का दरवाजा बंद किया। सोनम ने जैसे ही उसे अपने हाथ में लिया कि साड़ी बोल पड़ी ‘ली है तो पहनो….ली है तो पहनों।’ सोनम आश्चर्य में पड़ गयी कि यह साड़ी कैसे बोल रही है? वह उस साड़ी को अब लौटा देना चाहती थी। इसलिए उसने घर का दरवाजा खोलकर उस फेरी वाले बुलाना चाहा, लेकिन वह आसपास कहीं भी नहीं था।
साड़ी के बार-बार कहने पर कि ‘ली है तो पहनो …ली है तो पहनो’ सुनकर सोनम बुरी तरह डर गयी। लेकिन उसने वह साड़ी नहीं पहनी। कुछ समय बाद सोनम बोलने वाली साड़ी की बात बिल्कुल भूल गई। या यह कहना चाहिए कि घर में रखी उस रहस्यमय साड़ी के प्रभाव से साड़ी वाली बात सोनम के दिमाग से निकल गयी। वह पहले की तरह घर के काम-काज करने लगी।
शाम को जब उसका हसबैंड अनिल आया तो सोनम ने बताया कि आज मैंने एक साड़ी खरीदी है। अनिल ने सोनम को डाँटा कि तुम हर ऐरे-गैरे फेरी वाले को घर में बुलाती बुला लेती हो। किसी दिन बड़ी मुसीबत में फंस जाओगी। सोनम अपने हसबैंड अनिल को यह भी बताना चाहती थी कि उसने दो हजार वाली साड़ी पाँच सौ रुपये में खरीदी है, लेकिन चुप रही क्यों कि उसका पति पहले से ही फेरी वाले से सामान लेने पर नाराज हो रहा था।
रात हो गई थी। खाना खाकर सभी लोग सो गये। रात के लगभग बारह-एक बजे सोनम को लगा कि कहीं से कोई आवाज आ रही है। उसकी आंख खुल गई थी। सोनम ने ध्यान से सुना। यह आवाज भीतर के कमरे से आ रही थी। सोनम अंदर कमरे में गयी, वहाँ जो देखा तो उससे बुरी तरह डर गयी।
साड़ी बोल रही थी ‘ली है तो पहनो..ली है तो पहनो।’ अब सोनम को याद आया कि यह आज नयी खरीदी साड़ी दोपहर को भी बोल रही थी। उसने अपने हसबैंड को जगाया और बताया कि देखो साड़ी बोल रही है। सोनम को बहुत डर लग रहा था। उस रहस्यमय साड़ी को देखकर उसका पति अनिल भी उसे उलाहना देने लगा।
कहने लगा कि ‘देखा किसी भी फेरी वाले को घर में बुलाने का परिणाम? लगता है वह फेरीवाला तांत्रिक था, जिसने साड़ी में तंत्र -मंत्र फूंक कर तुम्हें यह साड़ी बेचीं दी है।’ यह सुनकर सोनम मारे डर के पसीने-पसीने हो गयीं। सोनम का पति इस रहस्यमय साड़ी से पिण्ड छुड़ाने के लिए उपाय सोचने लगा। उसने घर में सब को आगाह कर दिया कोई भी इस रहस्यमय बोलती हुईं साड़ी को न छुये।
सोनम का हसबैंड एक बड़े तांत्रिक को घर ले आया। उसने साड़ी को देखते ही बता दिया कि यह खूनी साड़ी है। जो भी महिला इसे पहनेगी उसकी मौत निश्चित है। उस तांत्रिक ने यह भी बताया कि पिछले हफ्ते मॉडर्न कॉलोनी में ऐसी घटना घटी थी। फेरी वाले से खरीदी साड़ी से इसी तरह की आवाजें आ रही थीं कि ‘ली है तो पहनो…ली है तो पहनो।’
उस महिला ने साड़ी पहन ली। साड़ी पहनते ही वह महिला घर से गायब हो गयी। दरअसल ऐसी रहस्यमय साड़ी पहनने वाली महिला उस तांत्रिक के चंगुल में आ जाती है। अनिल के द्वारा बुलाये गये उस तांत्रिक की दिल दहलाने वाली बातों को सुनकर सोनम और उसके हसबैंड के रोंगटे खड़े हो गए। सोनम सोच रही थी कि यदि वह उस साड़ी को पहन लेती तो न जाने उसका क्या हश्र होता।
उस तांत्रिक ने आग जलवाई और जैसे उस साड़ी को आग के हवाले करना चाहा, वह साड़ी आकाश में उड़ने लगी। उस तांत्रिक ने साड़ी का पीछा नहीं छोड़ा। उसने एक मंत्र पढ़कर हवा में फेंका। मंत्र को हवा में फेंकते ही ऐसा लगा कि वह साड़ी किसी रस्सी से बंध गई हो। जैसे-जैसे वह तांत्रिक अपना उठा हुआ हाथ नीचे ला रहा था, साड़ी भी नीचे आ रही थी। धीरे-धीरे वह साड़ी नीचे आकर आग में गिर गयी। साड़ी के आग में गिरते ही जोरों का एक धमाका हुआ। तांत्रिक ने बताया कि यह उस फेरीवाले का तिलस्म था जो टूट चुका है।