क्या आपको पता है़ कि विश्व के सात आश्चर्यों में से एक ताजमहल अपने अंदर बहुत सारे रहस्यों को छिपाये हुये है और उन रहस्यों से आज तक पर्दा नहीं उठाया गया है। आगरा में आने वाले पर्यटक इस ताजमहल को उतना ही देख पाते हैं जितना की इस ताजमहल को देखने के लिए उन्हें अनुमति प्रदान की गई है।
जब की ताजमहल के बंद तहखानों में रहस्यों का वह इतिहास है़ जिसे आज तक कोई न जान पाया है़। ताजमहल के बंद कमरों के अंधेरे, रहस्यों की वह काली चादर ओढ़े हुए हैं, जिनमें चौंकाने वाले तथ्य छिपे हुए हैं। इसीलिए ताजमहल के उन बंद दरवाजों को बंद ही रखा गया है क्योंकि खुलते ही न जाने कैसे-कैसे सच उजागर हो जाएंगे जो सदियों से बंद दरवाजों के पीछे कैद हैं।
मृत्यु के बाद अपनों का प्राकट्य, एक रहस्यमय अनुभव
विश्व प्रसिद्ध इतिहासकार पुरूषोत्तम नागेश ओक का तो यहाँ तक कहना है कि इस ताजमहल को मुगल सम्राट शाहजहाँ ने बनवाया ही नहीं। उनका यह भी कहना है कि मुगल सम्राट शाहजहाँ ने यहाँ अपनी अकूत संपत्ति छिपायी थी। जिसे दुश्मनों से सुरक्षित रखने के लिए यहाँ बेगम मुमताज के शव को दफनाया गया। ताकि मकबरा समझकर कोई दुश्मन इस पर आक्रमण न करें। ताजमहल के ऐसे ही कई रहस्यों से हम परदा उठायेंगे, जिन्हें इतिहासकारों ने तलाशने की कोशिश की है ।
ताजमहल वास्तव में एक प्राचीन शिव मंदिर था
इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक का कहना है कि यह ताजमहल मुगल सम्राटों के भारत आने की पूर्व एक प्राचीन शिव मंदिर हुआ करता था। जिसका नाम तेजो महालय था। प्रसिद्ध इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक ताजमहल के चौंकाने वाले तथ्य पर कई पुस्तकें लिख चुके हैं। जिसमें से ‘द ताजमहल इज तेजो महालय”, ताजमहल द ट्रू स्टोरी’ आदि वे खोजी पुस्तकें हैं जिसमें ताजमहल के आश्चर्यजनक रहस्यों को उजागर किया गया है।
इतिहासकार ओक ने अपनी पुस्तकों में लिखा हैं कि प्राचीन इमारत ताजमहल में ऐसे अनेक प्रमाण मिलें हैं जो ताजमहल को तेजो महालय (शिव मंदिर) होने की पुष्टि करते हैं। प्रसिध्द इतिहास कार पुरुषोत्तम नागेश ओक के अनुसार प्राचीन काल में ताजमहल जहाँ स्थित है़ वहाँ वास्तव में एक शिव मंदिर हुआ करता था। जिसे आगरा के राजपूत राजाओं ने बनवाया था।
लेकिन जब विदेशी लुटेरे मुगलों ने भारत पर अपना आधिपत्य जमाना शुरू किया तो आगरा में भी वीर राजपूतों और क्रूर शाहजहाँ के मध्य घमासान युद्ध हुआ। इसमें राजपूतों को हार का सामना करना पड़ा। परिणाम स्वरूप यह तेजो महालय अत्याचारी मुगल, शाहजहां के कब्जे में चला गया। मुगल शासक शाहजहाँ ने इस शिव मंदिर को तोड़-फोड़ कर इसका रुप बदलकर ताजमहल बना डाला।
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ताजमहल के तहखानों में अकूत धन संपत्ति और दस्तावेज बंद हैं
इतिहासकारों का कहना है कि ऐसी संभावना है कि ताजमहल के बंद दरवाजों के अंदर अकूत धन-संपत्ति, सोने-चाँदी और हीरे जवाहरात आदि रखे हुए हैं। यदि ताजमहल के बंद दरवाजों के अंदर के यह दस्तावेज किसी के हाथ पड़ जायें तो पूरा इतिहास ही पलट सकता है और उस सच का पता लग सकता है जिसे आज तक छिपाया गया है़।
अनेक पुरातत्व विशेषज्ञों ने वैज्ञानिक यंत्रो के द्वारा इस बात का पता लगा लिया हैं कि ताजमहल के बंद तहखानों में धातुओं की वस्तुएं हैं। निश्चित रूप से किसी राजा द्वारा रखी गयीं ये धातुएं सोना-चांदी या कोई बहुमूल्य वस्तु हो सकती है।
ताजमहल का गुप्त द्वार आज तक बंद है
आगरा में स्थित ताजमहल जितना हमें धरती के ऊपर नजर आता है वह वास्तव में ताजमहल का आधा हिस्सा ही है। इसका आधा हिस्सा जमीन के अंदर तहखाने के रूप में है। पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार ताजमहल के अंदर सैकड़ों कमरे हैं। जहां तक किसी को जाने की अनुमति नहीं है क्योंकि यह जगह रहस्यों से भरी हुई है। ताजमहल का वह गुप्त दरवाजा जो मुगल राजा शाहजहां के द्वारा उपयोग में लाया जाता था, सदियों से बंद है। जिसमें रहस्यों की कई परतें हैं।
ताजमहल का वह रास्ता मिट्टी से ढका हुआ है जहाँ से शाहजहाँ का शव ताजमहल में लाया गया था
ताजमहल के वे दरवाजे जिनसे गुपचुप लोगों का आवागमन होता था वह आज पूरी तरह बंद हैं। ताजमहल के उस दरवाजे का रहस्य, अभी भी रहस्य ही बना हुआ है, जहाँ से शाहजहां के शव को दफनाने के लिए लाया गया था। दरअसल 8 फीट का वह दरवाजा मिट्टी से बंद कर दिए जाने के कारण 2 फीट का ही नजर आता है ।
ताजमहल में दफनाए गए हैं अनगिनत शव
ताजमहल को अधिकतर इसलिए जाना जाता है कि वहाँ मुगल शासक शाहजहां और उसकी बेगम मुमताज का पार्थिव शरीर दफनाया गया है। जबकि इतिहासकारों का ऐसा कहना है कि इसमें शाहजहां और मुमताज के कई रिश्तेदारों आदि को भी इसी ताजमहल में दफनाया गया है जिनका राज पूरी तरह खुल नहीं पाया है।
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ताज महल के निकट स्थित यमुना नदी का रहस्य
कुछ इतिहासकारों का कहना है कि ताजमहल के निकट बहने वाली यमुना नदी का ताजमहल से कुछ रहस्यमय संबंध है। कुछ पुरातत्व विशेषज्ञों का कहना है कि यमुना नदी के भीतर से ताज महल तक, जल मार्ग द्वारा अंदर ही अंदर पहुंचने का खुफिया रास्ता बना हुआ है। उनका कहना है कि यह वह गुप्त रास्ता था जिससे दुश्मनों के आक्रमण के समय सुरक्षित निकला जा सकता था ।
ताजमहल और चन्द्रमा का रहस्य
ताजमहल को इस तरह से निर्मित किया गया है कि वह चन्द्रमा की किरणों से पूरी तरह जगमगाता रहता है। प्राचीन भारतीय वास्तुकारों ने इस विशुद्ध भारतीय संरचना को बनाते समय ऐसी व्यवस्था की है कि चन्द्रमा की प्राकृतिक किरणे ताजमहल के कोने-कोने में छिटकी रहती है। चन्द्रमा के प्रकाश में नहाया हुआ ताजमहल देखने में ऐसा लगता है कि कदाचित चन्द्रमा आकाश में ताजमहल को प्रकाशित करने के लिए ही उदित हुआ हो।