टेढ़ी पुलिया वाली चुड़ैल

टेढ़ी पुलिया वाली चुड़ैल गुलशन इस बाराबंकी शहर में नया-नया आया था। वह पहले फतेहपुर जिले में नियुक्त था। पिछले ही महीने उसका स्थानांतरण बाराबंकी में हुआ था। उसे इस शहर में अपने बैंक की नयी ब्रांच में ज्वाइन किए हुये एक महीना हो चुका था लेकिन अभी तक उसकी बाराबंकी शहर में रहने लायक ठीक-ठाक व्यवस्था नहीं हो पायी थी।

उसे अब तक कोई ढंग का किराये का मकान बैंक के आसपास नहीं मिल पाया था, जिसके कारण वह अपने मित्र संजीव के घर पर रह रहा था। उसका सारा दिन तो बैंक की ड्यूटी में ही निकल जाता था। शाम को अपने बैंक के आसपास किराये के मकान की तलाश करता था। उसके मित्र संजीव का घर, जहाँ वह फिलहाल रह रहा था; वह बैंक से काफी दूर था।

बैंक से अपने मित्र के घर पहुँचने के लिए दो रास्ते से थे। एक टेढ़ी पुलिया होकर और दूसरा राम-राम पुल से। उसके मित्र संजीव ने गुलशन को यह हिदायत दे रखी थी कि वह कभी भूल से भी टेढ़ी पुलिया की तरफ न जाये क्योंकि वहाँ एक चुड़ैल का निवास है।

उसने बताया कि उस टेढ़ी पुलिया से गुजरने वाले लोगों का बड़ा डरावना अनुभव है, जहाँ कुछ लोगों को तो उस पुलिया की चुड़ैल ने मार ही डाला था। गुलशन अपने बैंक में, अपने साथ काम कर रहे कर्मचारियों से भी टेढ़ी पुलिया वाली चुड़ैल के बहुत से डरावने किस्से सुना करता था। गुलशन इस बार जब गाँव अपने बीवी-बच्चों के पास गया तो उसने बाराबंकी की पुलिया वाली चुड़ैल की कहानी सुनाई।

जिसे सुनकर उसकी पत्नी डर गयी। उसने गुलशन को समझाया कि वह कभी उस ख़ौफ़नाक जगह की तरफ न जाये फिर उसकी वाइफ गुलशन को गाँव के घूमर बाबा के पास ले गयीं। बाबा ने गुलशन को एक ताबीज दिया और कुछ बातें समझायीं। उस दिन गुलशन को बैंक में बहुत देर हो गई थी। उसका, अगले हफ्ते इस नये शहर में अपने परिवार को लाने का प्रोग्राम था।

अगले दिन बैंक से छुट्टी ले कर वह फिर किराये के मकान की तलाश में निकल पड़ा था, लेकिन बैंक के आसपास की कई कॉलोनियों में घूमने के बावजूद उसे अपने लायक कोई किराये का मकान नहीं मिला।

उसे कुछ मकान पसंद आये लेकिन उनका किराया बहुत ज्यादा था। गुलशन को अपने बजट में अच्छे मकान की तलाश थी। आखिरकार आज भी गुलशन अपने लिये मकान ढूढ़ने में असफल रहा अतः गुलशन अब निराश हो चला था।

बाराबंकी में आये हुए एक महीना हो चुकने के बाद भी किराये के मकान की व्यवस्था न होने के कारण गुलशन उदास मन से अपने मित्र के घर लौट रहा था। उसकी बाइक तेजी से सड़क पर दौड़ रही थी।

गुलशन बहुत मायूस था अतः वह मन में न जाने क्या-क्या सोच रहा था। उसे ध्यान ही नहीं रहा कि उसके मित्र ने कहा था कि कभी टेढ़ी पुलिया होकर मत आना लेकिन अजीब उलझन में फंसा गुलशन आज यह बात भूल चुका था।

उसकी बाइक टेढ़ी पुलिया की तरफ ही जा रही थी। न जाने आज गुलशन के साथ कौन सी अनहोनी होने जा रही थी क्योंकि अनजाने में वह आज टेढ़ी पुलिया वाली चुड़ैल के चंगुल में फंसने जा रहा था।

लेकिन कहते हैं न ‘जाको राखे साईंयाँ मार सके ना कोय।’ टेढ़ी पुलिया पर सुनसान था। दूर-दूर तक कोई राही नजर नहीं आ रहा था। अंधेरी रात में झींगुर की आवाज आ रही थी।

वातावरण में उन झींगुरों की आवाज के बावजूद टेढ़ी पुलिया पर एक भयभीत करने वाली चुप्पी थी। पुलिया पर नर कंकाल के अवशेष जहाँ-तहाँ पड़े थे लेकिन अमावस्या की अंधेरी रात में कुछ नहीं नज़र आ रहा था। गुलशन अपनी गहरी सोंच मेंआगे बढ़ा जा रहा था जैसे ही गुलशन ने अपनी बाइक पुलिया पर चढ़ाई कि उसे उस पुलिया पर एक सुंदर स्त्री नजर आयी।

गुलशन अपने मित्र संजीव की पुलिया वाली चुड़ैल वाली बात बिल्कुल भूल चुका था। उसकी नजर उस सुंदर स्त्री पर ठहर गयी। वह स्त्री उस सुनसान पुलिया पर अकेली खड़ी थी। गुलशन को उस खूबसूरत स्त्री का सम्मोहन उसकी ओर खींचे जा रहा था।

आती हुई बाइक देखकर उस स्त्री ने बाइक रोकने का संकेत दिया। गुलशन में अपनी बाइक रोक दी। तब उस स्त्री ने गुलशन को बताया कि उसका इस पुलिया पर दो हजार का नोट कहीं गिर गया है।

उसे यह रुपये आज ही ट्यूशन देने की पगार में मिले थे, जो यहाँ रास्ते में कहीं गिर गये हैं और बहुत ढूढने पर भी नहीं मिल रहे हैं। यह कहते-कहते वह खूबसूरत स्त्री रुवाँसी हो गई।

गुलशन उस रोती स्त्री के आँसू देखकर भावुक हो गया। उसने पुलिया पर उस अकेली परेशान स्त्री की सहायता करने का मन बना लिया। उसे क्या पता था कि वह पुलिया की चुड़ैल द्वारा फैलाये जाल में फंसता जा रहा है।

गुलशन अपनी बाइक से उतरा और उस स्त्री का खोया हुआ दो हजार का नोट पुलिया पर ढूंढने लगा। जब गुलशन सड़क पर झुककर पुलिया पर चारों तरफ फैली झाड़ियों में उस स्त्री का खोया हुआ नोट ढूंढ रहा था कि तभी कहीं से उसे हंसने की आवाज सुनाई दी।

उसने मुंह उठाकर देखा तो मारे डर के उसकी चीख निकल पड़ी। वह स्त्री, जो अभी तक बहुत खूबसूरत लग रही थी लेकिन अब बहुत डरावनी बन चुकी थी। उस स्त्री के बड़े-बड़े दाँत, बिखरे हुये बाल, लाल-लाल आँखें थी, जिसे देखकर गुलशन भय से पसीने-पसीने हो गया।

वह जोर-जोर से हंसे जा रही थी। उस स्त्री के डरावने रूप को देखकर गुलशन की जान निकली जा रही थी। पुलिया की चुड़ैल अपने असली रूप में आ गयी थी।

गुलशन को अब अपने मित्र की बात याद आ रही थी कि टेढ़ी पुलिया पर जाना मत, उधर एक प्रेतनी रहती है लेकिन गुलशन भूलवश इस भूतिया पुलिया पर आ चुका था। गुलशन डर से बुरी तरह काँप रहा था वह यही सोंच रहा था कि आज उसकी जान नहीं बचेगी या नहीं।

अपनी सहायता के लिये उसने चारों ओर मुँह घुमाकर देखा पर कोई आसपास नहीं नजर आया। दूर-दूर तक सन्न्नाटा था लेकिन फिर भी वह चीख रहा था कि शायद कोई उसकी आवाज सुन ले और उसकी सहायता करे।

गुलशन ने अपनी रक्षा के लिये ऊपर वाले को पुकारा। उसे याद आया कि उसके पास गाँव के घूमर बाबा के द्वारा दिया गया एक ताबीज है। घूमर बाबा ने बताया था कि किसी ऊपरी हवा से पाला पड़े तो उस ताबीज को उसकी ओर फेंक देना वह प्रेत-आत्मा भस्म हो जायेगी।

गुलशन ने तेजी से अपने गले में पड़ा वहां ताबीज हाथ में निकाला कि तब तक वह चुड़ैल फिर सुंदर स्त्री बन चुकी थी। पुलिया वाली चुड़ैल ने गुलशन पर जादू कर दिया था।

उस बुरी आत्मा के द्वारा फैलाये गये जाल के कारण चुड़ैल को फिर सुंदर स्त्री रूप में देखकर वह उसके डरावने रूप को भूल गया था। बल्कि वह उस चुड़ैल के सुंदर रूप को देखकर फिर से आकर्षित हो रहा था।

वह स्त्री गुलशन की तरफ आगे बढ़ने लगी जैसे ही उसने गुलशन को स्पर्श किया तो उस चुड़ैल का हाथ घूमर वाले बाबा के ताबीज से छू गया, जो समय गुलशन की हाथ में ही था। ताबीज के छूते ही उस चुड़ैल का तिलस्म टूटने लगा।

उसे अपने असली रूप में आना पड़ा।वह जोर-जोर से चिल्लाने लगी जैसे कि उसे बिजली का करंट लग गया हो। उसके शरीर से अनेकों चिंगारियाँ निकलने लगीं। चुड़ैल द्वारा किया गया जादू बाबा के ताबीज के कारण टूटने लगा था।

अब गुलशन को सब कुछ याद आ गया था कि वह इस समय एक चुड़ैल के चंगुल में फंसा हुआ है।उसे यह भी याद आया कि बाबा के दिये गये ताबीज के प्रभाव से ही उसकी जान अब तक बची हुई है।

उसने देखा कि वह चुड़ैल पुलिया के नीचे बहते हुए पानी की तरफ भागी जा रही थी। गुलशन को बाबा जी की बात फिर याद आयी कि उनके ताबीज के असर से जकड़े भूत-प्रेत ने यदि जल स्पर्श कर लिया तो ताबीज का प्रभाव समाप्त हो जायेगा।

इससे पहले कि वह चुड़ैल पुलिया के नीचे वाले तालाब तक पहुँचती तब तक भय से पसीने में लथपथ गुलशन ने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहाँ से भागा। उस चुड़ैल की लाल-लाल आँखें गुलशन का पीछा कर रही थी। लेकिन गुलशन उस चुड़ैल की पहुँच से दूर होता जा रहा था।

लेकिन अब तक सुप्त अवस्था में पड़ी पुलिया की चुड़ैल आज मानव स्पर्श पाकर जागृत अवस्था में आ गई थी। उसे अब अपने अगले शिकार की तलाश थी।

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