कभी- कभी ऐसी घटनायें हो जाती है जिस पर किसी का भी आसानी से विश्वास कर पाना मुश्किल होता है। ऐसी ही, साल 2020 के,मार्च क़े महीने की एक घटना है। यह किस्सा है उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले क़े एक गाँव का।
इस गाँव में एक पंडित जी थे, नाम था उनका दुर्गा प्रसाद। वे बचपन से ही भगवान की भक्ति में लीन रहते थे। दूर-दूर तक लोग उनकी प्रभु-भक्ति की मिसाल देते थे। उनकी दिनचर्या थी कि वे रोज सुबह स्नान-ध्यान करके चौराहे वाले मंदिर में चले जाते थे। वहाँ पूजा-पाठ, कथा-कीर्तन में उनका दिन गुजारता था।
लेकिन तभी आया कोरोना काल। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण भारत सरकार ने लॉक डाउन घोषित कर दिया। सब कुछ बंद हो गया। साथ ही बंद हो गये मंदिर भी। लॉकडाउन में मंदिर बंद हो जाने के कारण पंडित दुर्गा प्रसाद जी की दिनचर्या में ग्रहण लग गया।
वे बेचारे मजबूर हो गये। वे नित्य मंदिर में भगवान को भोग लगाने के बाद ही भोजन करते थे लेकिन उनका यह व्रत भी लॉक डाउन के कारण टूट गया। बुझे मन से अब वे घर पर ही पूजा – पाठ करने लगे।
देश भर में कोरोना फैलने के कारण लॉक डाउन बढ़ता गया और बढ़ती गयी पंडित दुर्गा प्रसाद की बेचैनी। एक सच्चा भक्त अपने भगवान क़े दर्शन के बगैर कितने दिन रह सकता है। धीरे-धीरे पंडित दुर्गा प्रसाद उदास रहने लगे। उन्होने खाना -पीना कम कर दिया। वे अब सारा दिन अपने प्रभु को जपते रहते और सोचते रहते कि वह दिन कब आयेगा जब फिर प्रभु के दर्शन करने मंदिर जा सकूंगा।
दिन पर दिन उनकी प्रभु के दर्शन की व्याकुलता बढ़ती गयी। अब प्रभु को भोग लगाये बिना भोजन करना उन्हें पाप लगने लगा था। आखिरकार उन्होने अन्न -जल सब त्याग दिया। वे अब रात- दिन प्रभु की भक्ति में लीन रहते।
एक दिन सुबह क़े समय जो घटना घटी वह अजीबोगरीब थीं। पंडित दुर्गा प्रसाद के आस-पास रहने वाले लोगों ने जो कुछ देखा उसे देखकर वे आश्चर्य चकित रह गये। उन्होने देखा कि पंडित दुर्गा प्रसाद के घर के दरवाजे पर एक मूर्ति खड़ी है। तब पडोसियों ने पंडित जी को आवाज लगायी।
पंडित दुर्गा प्रसाद जी…. पंडित दुर्गा प्रसाद जी। पंडित जी उस समय प्रभु की भक्ति में लीन थे। लोगों की आवाज सुनते ही वह हड़बड़ा कर घर के बाहर निकले तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। चौराहे वाले मंदिर की मूरत उनके घर के सामने खड़ी थी। वे मूर्ति के पाँव में गिर गये और बोल पड़े आज मेरे प्रभु खुद चल कर मेरे पास दर्शन देने आये हैं।
वे भाव विह्वल हो गये और उनकी आखों से अश्रु धारा वह निकली। गाँव के सभी लोग -बाग बड़े अचंभे से भगवान और भक्त के मिलन का यह अदभुद नजारा देख रहे थे। कि आज भगवान खुद लॉक डाउन तोड़ कर भक्त दुर्गा प्रसाद के घर पहुंच गये थे।