ध्वनि की प्रकृति दो प्रकार की होती है पहली कर्कश ध्वनि और दूसरी मधुर। प्रकृति में भी दो तरह की आवाजें हमारे आसपास विद्यमान है पहले कौए की तेज आवाज और दूसरा कोयल का मीठा स्वर। आपसे यदि यह पूछा जाये कि आप किसकी आवाज सुनना चाहेंगे तो निश्चय ही आप कोयल का ही नाम लेंगे। आवाज का हमारे जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है़। इसलिए वास्तु शास्त्र यह परामर्श देते हैं कि आप अपने आस-पास होने वाली ध्वनि का खास ध्यान रखें।
क्योंकि यह ध्वनि जहाँ आपका चैन छीन सकती है़ वहीं चैन दिला भी सकती है़। यहाँ चैन का अर्थ सुख और शांति से है़। वास्तु पंडितो के अनुसार हमारे घर, दुकान, ऑफिस या कॉलोनी में होने वाली ध्वनियों का हमारे जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का प्रभाव पड़ता है़। क्योंकि जहाँ सकारात्मक आवाज हमारे जीवन में उत्साह भर देती है़ वहीं इसके विपरीत नकारात्मक आवाज हमारे जीवन में मुश्किलें पैदा कर देती है़।
इस धरती पर रहने वाले दो तरह के व्यक्ति होते हैं एक वह जो धीमी और मधुर आवाज पसंद करते है़ वहीं दूसरी ओर ऐसे लोग, जिन्हें तेज आवाज में बोलना और सुनना पसंद है़। वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि आपको अपने आस पास सकारात्मक प्रवाह बनाये रखना है़ तो वातावरण में हमेशा मधुर या धीमी आवाज को उत्पन्न करें। क्योंकि जब हम अपने चारों ओर तेज ध्वनि पैदा करते हैं तो हमारे आस-पास नकारात्मक ऊर्जा फैलने लगती है़। इसलिए वास्तु शास्त्र आपके लिए यह सलाह देता है़-
अपनी बातचीत का स्वर नियंत्रित रखें
हम जब भी घर में या अपने ऑफिस में अथवा अपने आसपास संपर्क में आने वाले लोगों से वार्तालाप करें तो बहुत तेज आवाज में न बोलें, क्योंकि यह तेज आवाज आप और आपके संपर्क में आने वाले व्यक्तियों के बीच वैचारिक मतभेद उत्पन्न कर सकती है। यह आवश्यक नहीं की पहले ही दिन तेज आवाज में बोलने से संबंध खराब हों। लेकिन तेजआवाज दूरगामी दुष्परिणाम देती हैं।
इसीलिए वास्तुशास्त्री कहते हैं कि तेज आवाज होने के कारण उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जा हमारे आपसी रिश्ते बिगाड़ सकती है़। जबकि धीमी या मधुर आवाज आपके संबंधो में सकारात्मक ऊर्जा लाकर उसे प्रगाढ़ बनाती हैं। गाँव ,मोहल्ले या कॉलोनी में उन लोगों से कोई बात नहीं करना चाहता जो तेज आवाज में बोलते हैं क्योंकि वह नकारात्मक ऊर्जा को सदा अपने साथ रखते हैं जिसके कारण कोई उन्हें पसंद नहीं करता।
टी. वी या रेडियो की आवाज कर्णप्रिय रखें
वास्तु शास्त्र यह परामर्श देता है़ कि आप अपने घर में आवाज करने वाले यंत्रो पर विशेष ध्यान रखें । क्योंकि यदि इन ध्वनि पैदा करने वाले यंत्रो की आवाज अनियंत्रित हो जाती है़ तो वहाँ हमारी सुख-शांति नकारात्मक स्वर में कहीं खो जाती है़।
वास्तु पंडितो के अनुसार आप जब भी अपने घर में टी. वी., रेडियो, मोबाइल याऑडियो सिस्टम चलाइए तो उसकी आवाज उतनी ही हो जो आपके कानों को मधुर लगे। क्योंकि इन यंत्रो से निकलने वाली आवाज हमारे घर में वास्तु दोष उत्पन्न कर देती है़। जिससे घर में रहने वाले लोगों में अपने कार्य के प्रति एकाग्रता भंग होती है़। घर के परिवार के सदस्य निराशा और हताशा की ओर बढ़ते हैं और उनमें आत्मविश्वास में कमी होने लगती है़।
अलार्म की तेज आवाज हमें असफलता दिलाती है़
वास्तुशास्त्र घर मे रहने वाले स्टूडेंट्स और ऑफिस जाने वाले लोगों को यह परामर्श देता है़ कि यदि आप सुबह जल्दी उठने के लिए घड़ी या मोबाइल से अलार्म सेट करते हैं तो इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि अलार्म की आवाज बहुत तेज न हो। क्योंकि तेज आवाज का अलार्म आपके सुबह उठने से पहले ही आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा भर देता है़।
जो आपको सफलता के स्थान पर असफलता की ओर ले जाता है़। साथ ही तेज आवाज आपके मन में नकारात्मक विचारों का प्रवाह करने लगती है़। जिसके कारण आपकी सफलता संदिग्ध हो जाती है़ । क्योंकि तेज आवाज के कारण हम खुद अपने घर में वास्तु दोष उत्पन्न कर लेते हैं। इसलिए आप जब भी अलार्म लगाने के उद्देश्य से घड़ी खरीद कर लायें तो उसकी ध्वनि को अवश्य चेक कर लें।
डोर बेल आपके घर के वातावरण में स्फूर्ति भर सकती है़
वास्तुशास्त्र के अनुसार डोरबेल आपके घर में वह इलेक्ट्रानिक यंत्र है़ जो उमंग का वातावरण उत्पन्न कर सकती है़। बस इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना होगा। सबसे पहली बात यह की आपके घर के डोरबेल की आवाज तेज न हो क्योंकि तेज आवाज आपके घर में निगेटिव एनर्जी को जन्म देती है़, जो आपके और आपके परिवार के सदस्यों के लिए मानसिक और शारीरिक दृष्टि से अहितकर है़।
दूसरी बात यह देखने में आती है कि लोग अपने दरवाजे पर डोरबेल इस प्रकार की लगाते हैं कि जिसमें कोई भजन या मंत्र बजता है। आइए जानते हैं कि इसके बारे में वास्तु शास्त्री क्या कहते हैं ? वास्तु पंडितों के अनुसार यदि डोरबेल में कोई मंत्र या भजन बजता है तो वह निश्चित रूप में से घर में सकारात्मक ऊर्जा की तरंगें उत्पन्न करने लगता है, जो आपके घर के वातावरण को उत्साहजनक बनाता है ।
साथ ही यह ध्वनि आपके घर सदस्यों के बीच तालमेल को बढ़ावा देती है और पड़ोसियों से रिश्ते को मजबूत करती है। वास्तुशास्त्री डॉ ज्योति सेठ के अनुसार यदि आप कुछ बोलने जा रहे हैं तो संभल कर बोलें। यदि आप कोई ध्वनि उत्पन्न करने वाला यंत्र चलाने जा रहे हैं तो उसका वॉल्यूम कम रखें। इससे कुछ ही दिनों में आपके घर में सकारात्मक परिवर्तन दिखने लगेगा ।
पूजा की घंटी की आवाज वास्तुदोषों को नष्ट करती है
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मंदिर में बजने वाली पूजा की घंटी वास्तु दोषों को नष्ट करती है़, जिसके कारण उस मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है़। यदि आप भी अपने घर में मंदिर जैसा मंगलकारी वातावरण उत्पन्न करना चाहते हैं तो अपने घर में भगवान की पूजा करते समय पूजा की घंटी को अवश्य सम्मलित करें। क्योंकि घंटी का स्वर आपके घर में दैवीय शक्ति उत्पन्न कर सकता है़। साथ ही आपके घर के समस्त वास्तु दोषों का निवारण कर सकता है।