पुनर्जन्म का अनसुलझा रहस्य

पुनर्जन्म का अनसुलझा रहस्यपुनर्जन्म अब सिर्फ धार्मिक मान्यता का विषय नहीं रहा बल्कि दुनिया के कई वैज्ञानिको के लिए अब शोध का विषय भी बन चुका है | दुनिया की उन सभ्यताओं और देशों में भी, जहाँ पुनर्जन्म की मान्यता नहीं है, पुनर्जन्म के आश्चर्यचकित कर देने वाले मामले सामने आ रहे हैं | यद्यपि पुनर्जन्म होने की घटनाओं में, उस जगह की आस्था और धार्मिक मान्यताओं का भी योगदान होता है क्योकि अनुकूल सामाजिक वातावरण पुनर्जन्म का स्मरण दिलाने के लिए एक उपयोगी मानसिक दृष्टिकोण प्रदान करता है इसलिए ऐसी जगहों पर अधिकतर पुनर्जन्म की घटनाएं हुई देखी गयी हैं |

जिस प्रकार से किसी कलाकार को अपनी कला के प्रदर्शन के लिए अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है उसी प्रकार से स्मृति उपलब्ध कर सकने की योग्यता के सम्पादन के लिए भी अनुकूल सामाजिक वातावरण की आवश्यकता होती है | लेकिन इसका यह मतलब कदापि नहीं है कि उन स्थानों से पुनर्जन्म की घटनाओं के समाचार प्रकाश में नहीं आये जहाँ पुनर्जन्म में आस्था वर्जनीय है | इसी क्रम में अब हम आपके सामने येरुशलम (जहाँ पुनर्जन्म-सिद्धांत को मान्यता नहीं मिली है) की एक ऐसी ही चमत्कृत कर देने वाली घटना रखने जा रहे हैं जो वैज्ञानिको और मनोचिकित्सकों के लिए अभी तक अनसुलझी है |

इसराइल का येरुशलम, बात सन 1964 की है | यहाँ के एक प्रसिद्ध डेंटिस्ट संम मोरिस (Somme Morris) जिनका खुद का अपना हॉस्पिटल था, अपनी पत्नी और 6 वर्षीय पुत्र डेविड मोरिस (David Morris) के साथ एक शांत और सुकून भरा जीवन जी रहे थे | उस दिन सुबह का वक्त था, डॉ मोरिस को हॉस्पिटल पहुंचे हुए अभी कुछ ही समय हुआ था की उनकी धर्मपत्नी एडना (Edna) वहां पहुँच गयी | वो थोड़ा घबरायी हुई लग रही थी | उन्होंने अपने पति से एक अच्छे शिशु-मनोचिकित्सक से अपॉइंटमेंट लेने और मिलने के लिए अनुरोध किया |

डॉ. मोरिस ने पूछा क्यों ? एडना ने जवाब थोड़ा रुक के दिया | “मै डेविड के बारे में सोच के चिन्तित हो रही हूँ , क्योकि आजकल वो अपने स्वाभाविक ढंग से बातचीत नहीं कर रहा है |……उसे एक प्रकार की समाधि सी लग जाती है और वह मुह से लार गिराने लगता है और साथ ही साथ जल्दी-जल्दी मुह से कुछ बडबडाने लगता है” |

एडना की आवाज़ में थरथराहट थी जिसे डॉ मोरिस ने महसूस भी किया | एडना ने आगे कहा “वह अन्य बच्चों के साथ और घर लौटने पर आपसे तो स्वाभाविक तरीके से बातचीत करता है पर मेरे साथ उसका व्यवहार बदल गया है….मुझे ऐसा लग रह है कि…वह जानबूझ कर मुझे तंग करने के लिए ऐसा करता है | और गुस्से में आकर मै उसे दंड देती हूँ तो उसकी लार टपकने लगती है और उसके मुह से काफ़ी तेज गति से बडबडाने की आवाज़ आने लगती है |…….उसे किसी विशेषज्ञ के पास लेकर चलना ही होगा नहीं तो बच्चा मानसिक रूप से विकृत हो जाएगा” |

अब तक एडना की आवाज़ थोड़ी भारी हो चली थी | दोनों आँखों के कोनो से अश्रु-बूँदें झांक रही थी मानो लुढ़कने के लिए अनुमति की प्रतीक्षा में हों | डॉ. मोरिस, जो अब तक बड़े धैर्य से अपनी पत्नी को सुन रहे थे, बिलकुल शान्त भाव से उठे | उन्होंने अपने सचिव को उस दिन के सारे अन्य कार्य, मीटिंग्स, अपॉइंटमेंट्स स्थगित करने को कहा और अपनी पत्नी के साथ हॉस्पिटल से बाहर आ गए | कार ड्राइव करते समय भी डेविड का मासूम चेहरा उनके जेहन में बार-बार घूम रहा था |

ऐसा नहीं था कि मोरिस अपने बेटे की इन सारी हरकतों से पूरी तरह अनजान थे, लेकिन वो इस बारे में अपनी पत्नी की सोच से सहमत नहीं थे | उन्हें पूरे प्रकरण में कुछ अजीब लग रहा था, कुछ ऐसा जिसे समझने के लिए उन्हें थोड़ा समय चाहिए था | इन्ही सब उधेड़बुन में कब वो घर की दहलीज़ पर पहुँच गए उन्हें पता ही नहीं चला | अन्दर पहुँचने पर उन्होंने देखा कि उनका बेटा, डेविड, उनके शयन-कक्ष में प्लास्टिक और लकड़ी आदि के टुकड़ों को मिलाकर एक दुर्ग (Castle) बना रहा है |

ये सब देख कर श्रीमती मोरिस को क्रोध आ गया | उन्होंने उसे झिड़कते हुए कहा “मैंने तुम्हे कितनी बार कहा है कि केवल अपने कमरे में खेलो….इस तरह से तो इस कमरे में बिछे हुए पूरे कालीन का सत्यानाश हो जाएगा” | लेकिन इन सब के विपरीत डॉ. मोरिस का ध्यान अपने बच्चे द्वारा बनाए जा रहे उस ढाँचे की तरफ़ था जो आश्चर्यजनक रूप से उन्हें जाना-पहचाना सा लग रहा था |

उन्होंने अपनी स्मरण शक्ति पर थोड़ा जोर दिया और अचानक एक चौड़े घन के प्रहार के सामान उनके मष्तिष्क में वो कौंध गया | “अरे ये तो ध्वस्त हुए ‘असली पवित्र देवालय’ (Original Holy Temple) का मॉडल है | उन्हें याद आया कि कुछ हफ्ते पहले राष्ट्रीय संग्रहालय (National Museum) में घूमते समय उन्होंने, पुरातत्व वेत्ताओं द्वारा खींचा गया इसका एक रेखा चित्र देखा था, पर इस छोटे बच्चे डेविड ने तो उसे देखा नहीं, फिर वो कैसे इसका मॉडल बना रहा है ?

डॉक्टर, दबे पाँव आ कर अपने मौन बेटे के पास पीछे की तरफ़ बैठ गए और धीमी आवाज़ में पूछा “डेविड,…बेटा क्या बना रहे हो…ये कोई दुर्ग है या रेलवे स्टेशन? बेटे ने पूरी तन्मयता के साथ जलती हुई आँखों से अपने पिता की ओर देखा और उसके अधरों से शब्दों का एक झरना सा फूट पड़ा जो केवल एक बडबडाहट के समान सुनाई दे रहा था | उसमे से केवल एक शब्द “आ” को डॉ. मोरिस समझ सके जिसका यहूदी भाषा में अर्थ है ‘देवालय’ | इस दौरान बच्चा, उसके द्वारा निर्मित भवन की दीवार की ओर लगातार उँगलियों से निर्देश देता रहा |

डॉ. मोरिस ने अपनी पत्नी से तेज़ आवाज़ में कहा “जल्दी करो, टेप रिकॉर्डर लाओ” | उनकी पत्नी जल्दी से इसको लाने के लिए दौड़ी | एडना के दिमाग में चल रहा था कि शायद बच्चे के अस्वाभाविक व्यवहार का रिकॉर्ड किया हुआ नमूना (Specimen) मनो-चिकित्सक को दिखाने के लिए टेप रिकॉर्डर मंगवा रहे होंगे | टेप रिकॉर्डर ऑन होते ही उस पर नन्हे डेविड के स्पष्ट तथा उच्च स्वर में उच्चारित शब्द टेप पर अंकित होने लगे | उसमे आ शब्द को वह बार-बार बोल रहा था | अचानक बच्चा उठा, अपने नन्हे से पाँव से ठोकर मारी और लकड़ी के उन चौकोर टुकड़ों को उसने बिखेर दिया | उसके बाद वो विचित्र तरीके से हँसा और तेज़ी से भाग कर अपने कमरे में घुस गया |

श्रीमती मौरिस ने शिकायत भरे लहज़े में कहा “देखा आपने कितना बिगड़ गया है, डेविड…जल्दी यहाँ आओ | शरारती लड़के | जल्दी से इन टुकड़ों को समेटो, नहीं तो ठीक से पेश न आने पर आज आइसक्रीम नहीं मिलेगी….| डॉ. मौरिस ने टेप की रील को निकाला और सीधे अपनी गाड़ी नेशनल म्यूजियम की ओर दौड़ा दी | उनके पुराने मित्र और उस समय के नेशनल म्यूजियम के प्राचीन पाण्डुलिपि विभाग के हेड डॉक्टर ज्वी हरमन (Dr. Zvi Harmann) ने मौरिस को देखा तो ख़ुशी से उनका स्वागत किया |

उस ज़माने में डॉ. हरमन, पवित्र देश (Holy Land) इसराइल के इतिहास के सर्वोच्च अधिकृत जानकार व्यक्ति थे, साथ ही प्राचीन शिलालेखों और चमड़े पर लिखी हुई प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ सकने वाले एक प्रसिद्ध विशेषज्ञ भी | डॉ. हरमन के केबिन की टेप मशीन पर उस रील को मौरिस ने लगा दिया और प्ले का बटन ऑन कर दिया | डेविड की आवाज़ एक छोटे लाउड स्पीकर से आ रही थी, उस आवाज़ के शुरू होते ही उन्होंने डॉ. हरमन से कहा “इसे सुनिए” |

आश्चर्यचकित हुए डॉ. हरमन के कहने पर मौरिस ने उस टेप को बार-बार सुनाया, अलग-अलग गति (Pitch) पर सुनाया और तब तक सुनाया जब तक डॉ. हरमन ने कुछ सोचते हुए अपने होंठ भींच कर तेज़ी से लिखना नहीं शुरू कर दिया | “ये आवाज़ प्राचीन हिब्रू (यहूदियों की भाषा) के जैसी सुनाई दे रही है”, ये कहते हुए हरमन ने उस निस्तब्धता को तोड़ा | डॉ मौरिस हमेशा की तरह शांत और उत्सुक थे | हरमन ने अपनी बात जारी रखी |”हमारी वर्तमान भाषा से उसके बहुत से शब्द मिलते-जुलते हैं |

इसी वजह से हम प्राचीन पांडुलिपियों को आसानी से पढ़ लेते हैं, लेकिन उसके कई शब्द, रूप, विभक्तियाँ, उच्चारण शैली और व्याकरण बहुत ही अलग किस्म के हैं | फिर भी मेरे हिसाब से मैंने इसे पढ़ लिया है, सुनो वो इस तरह से है- इसमें एक बादशाह अपनी प्रजा से कह रहा है कि मेरे कहे अनुसार चलो, मै तुम्हे गौरव की और ले चलूँगा” |

फिर डॉ. हरमन ने मौरिस की और देखा और पूछा “इसे आपने कहाँ से रिकॉर्ड किया ?, ये किसी ड्रामा में अभिनय करने वाले पेशेवर कलाकार की आवाज़ मालूम पड़ रही है | बादशाह डेविड और उसके देवालय के निर्माण का विरोध करने वाले समूह के संघर्ष से इतिहासकार अच्छी तरह परिचित हैं | विरोधियों ने इसका निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही बादशाह डेविड को इस योजना का त्याग करने के लिए विवश कर दिया था और इस महान कार्य को उसके उत्तराधिकारी सम्राट सोलोमन ने पूरा किया था” |

थोडा रुक कर हर्मन ने एक घूँट पानी पिया फिर अपनी बात जारी रखी | “वैसे किसी ऐतिहासिक नाटक के लिए ये एक अच्छा सब्जेक्ट हो सकता है लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि हमारे कलाकार पुरानी हिब्रू भाषा के भी जानकार हो सकते हैं……सच कहूं तो मुझे आज तक ऐसा एक भी आदमी नहीं मिला जो इतनी आसानी से और अधिकार पूर्ण ढंग से इसको बोल सके जैसा कि ये कलाकार बोल रहा है…….लेकिन ये है कौन?”

एक गद्देदार कुर्सी पर लुढ़कते हुए डॉ मौरिस ने एक लम्बी सांस ली और कहा “मेरा बेटा” | इतना सुनते ही डॉ. हर्मन ने थोड़ा फुर्ती दिखाई और एक गिलास ठंडा पानी लेकर डॉ. मौरिस को दिया और कहा “तुम कुछ अस्वस्थ लग रहे हो, लो पानी पी लो | लगता है तुम ये गंभीरता से नहीं कह रहे हो……..लेकिन………क्या, सच में यही बात है | जवाब में डॉ. मौरिस ने केवल हाँ में सर हिलाया |

बाद में डॉ. मौरिस ने बताया कि प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक और प्रोफेसर एफ्रेम एयूरबैच (Ephralm Auerbach) और डॉक्टर ज्वी हरमन (Dr. Zvi Harmann) को मैंने अपने घर पर रोक रखा था ताकि वो काफ़ी समय तक बच्चे का निरिक्षण कर सके और उसकी बडबडाहट को लिपिबद्ध कर सकें तथा उसके इस व्यवहार का कोई कारण बता सकें |

इन वैज्ञानिकों ने देखा कि उसके कमरे की खिड़कियाँ बंद कर देने पर तो वो अपनी उम्र के अन्य बच्चों के जैसे ही व्यवहार करता लेकिन खिड़कियों को खोल देने पर वह अंतर्लीन होने लगता | उन लोगों ने यह भी देखा की उसकी अंतर्लीनता की स्थिति उस समय जल्दी-जल्दी आती जब हवा की दिशा उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर रहा करती थी | इन हवाओं की दिशाओं के साथ-साथ येरुशलम के प्राचीन नक़्शे पर खोज की गयी तो पता चला की डॉ. मौरिस का घर उसी स्थान पर था जहाँ प्राचीन येरुशलम में ईश्वर के प्रथम देवालय और सम्राट डेविड के दुर्ग (Castle) का स्थान था और इस जगह का नाम था माउंट मोरिया (Mount Moriah)|

वैज्ञानिकों ने इन सारे तथ्यों को लिपिबद्ध कर लिया था लेकिन वो इन सब से कोई सार्थक निष्कर्ष नहीं निकाल सके | बाद में डॉ. हर्मन ने उस टेप को एक बड़े से लिफाफे में बंद करके उसे चिपकाने वाले फीते से चिपकाते हुए कहा-“देखो मौरिस अगर हम लोग इन सब चीजों का प्रचार करते हैं तो एक के बाद एक, तीन बाते हो सकती हैं हम लोगों के साथ-पहली, मुझे और तुमको विकृत मष्तिष्क का समझ कर मनो-चिकित्सक के पास जांच के लिए भेज दिया जाएगा और दूसरी बात कि बच्चे को असंतुलित दिमाग वाले बच्चों की किसी संस्था में भरती के लिए लिया जा सकता है और तीसरी बात, इन सब से तुम्हारी पत्नी बुरी तरह से घबरा जायेगी, तो मेरी बात मानो इस लिफ़ाफ़े को यही बंद करते हैं और सारी बात यहीं ख़त्म !

लेकिन हम और आप जानते हैं की बातें यहीं ख़त्म नहीं हो जाती | मनुष्य लाख कोशिश कर ले उसे झुठलाने की लेकिन उसके बनाए नियम और क़ानून हर जगह एक से हैं और उनको देखने और समझने के लिए बस अपनी आँखों पर लगा ‘चश्मा’ उतारना होगा |

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