डरावने चेहरों का रहस्य

Belmez-Facesकोर्डोबा, स्पेन के परेरा परिवार में उस समय चीख-पुकार मच गयी, जब उनके रसोईघर के फ़र्श पर रहस्यमय और डरावनी आकृतियाँ उभरने लगी | परेरा परिवार, समृद्ध परिवार था | आय का मुख्य साधन लम्बी-चौड़ी खेती-बाड़ी थी लेकिन 23 अगस्त 1971 की उस गर्म दोपहर को स्पेन के एन्दलुसिया (Andalusia) प्रान्त के कोर्डोबा क्षेत्र के बेल्मेज़ (Belmez) गाँव में कुछ अजीब ही हुआ |

सबसे पहले इसे, भोजन तैयार कर रही वृद्धा फिल्मेना (Filmena) की बड़ी पोती ने देखा | उस बच्ची की माँ भी वहीँ थी | दादी ने बच्चों को डांटा, “क्या शोर मचा रहे हो ?” बच्चे फ़र्श के जिस हिस्से में बैठे थे, उसको छोड़ कर हटने लगे | फिर उस वृद्धा ने, रसोईघर के गुलाबी फर्श पर जो कुछ देखा वो उसे अगले जन्म तक याद रहने वाला था, जबान खुश्क हो कर तालू से चिपक चुकी थी और गले से केवल एक घुटी हुई चीख निकलने की कोशिश कर रही थी, उसे भी दिल और दिमाग़ ने रोक कर रखा था |

फर्श पर कई रहस्यमय और डरावनी, मनुष्यों की मुखाकृतियाँ उभर रही थीं और ग़ायब हो रही थीं | बाकी किसी ने तो नहीं लेकिन बूढ़ी फिल्मेना ने उस समय साहस दिखाया और बच्चों को दूर हटा कर वाईपर उठा लिया और फ़र्श को साफ़ करने लगी | आश्चर्य,..इसके बाद प्रकट होने वाली मुखाकृतियों की आँखें चौड़ी होने लगी और उनके चेहरों पर ऐसी मुस्कान उभरने लगी जो अच्छे अच्छों के छक्के छुड़ा दे | पूरा परिवार रसोईघर से ऐसे भागा मानो ये उनकी ज़िन्दगी बचाने का उनके पास आखिरी मौका हो |

ये पूरी घटना “बेल्मेज़ के चेहरे” (Belmez Faces) नाम से पूरी दुनिया में मशहूर हुई थी, और तब से केवल उन डरावने चेहरों को देखने के लिए बहुत सारे सैलानी जा चुके हैं वहां | कुछ परामनोवैज्ञानिक इसे बीसवीं सदी की सर्वश्रेष्ठ, प्रमाणिक, परामनोविज्ञानी घटना (Paranormal Phenomenon) मानते हैं |

घर के मालिक जुआन परेरा (Juan Pereira) और उनके पुत्र मिगुएल (Miguel) ने इसकी जानकारी वहां के प्रशासनिक अधिकारियों को दी | अधिकारियों ने पुलिस के साथ जाँच-पड़ताल शुरू की | चूंकि फर्श कंक्रीट का बना हुआ था इसलिए ज्यादा कुछ उन्हें समझ में नहीं आया | उन्होंने जुआन को निर्देश दिया कि अपने रसोईघर का फ़र्श उखाड़ कर नया फ़र्श बनवाइये | जुआन ने ऐसा ही किया |

पुराना फ़र्श उखाड़ा जा चुका था और नया फ़र्श जुआन ने अपनी देख-रेख में ही बनवाया | लेकिन अभी कुछ ही दिन बीते थे कि नए फ़र्श पर भी डरावनी मुखाकृतियाँ उभरने लगी | इस बार कई नए चेहरे दिखे और पिछली बार की तुलना में अधिक स्पष्ट थे वे चेहरे | जुआन परेरा और उसके परिवार ने फिर से अधिकारियों को बुलाया और पूरी घटना को होते हुए दिखाया |

अब तक पूरे गाँव के लोग आतंकित हो चुके थे | वो इसे कोई दैवीय कोप मान रहे थे | अधिकारियों ने वो पूरा इलाका खुदवाने का निर्णय लिया | उस क्षेत्र को खाली करवा लिया गया | खुदाई करवाने पर, उस क्षेत्र की ज़मीन में थोड़ी गहराई पर, बड़े पैमाने पर इंसानी कब्रें मिली जो की शोध करने पर पता चला की मध्य काल की थीं | ऐसा अनुमान लगाया गया कि वह स्थान मध्यकालीन सभ्यता के समय कब्रिस्तान रहा होगा |

एक बार फिर से, तीसरी बार नया फ़र्श लगवाया गया, मगर फिर से वही डरावने चेहरे, गहरी उदासी लिए हुए, जुआन परेरा व उसके परिवार की रातों की नींद उड़ाए जा रहे थे | अब तो स्त्री और पुरुष की आकृतियाँ भी स्पष्ट हो रही थी |

इस घटना को वहां के स्थानीय समाचार पत्रों ने अपने मुख्य पृष्ठ पर प्रमुखता से जगह दी और जुआन परेरा और उसकी पत्नी मारिया का घर, सैलानियों के लिए “La Casa de las Caras” (The House of the Faces) के नाम से प्रसिद्ध हो गया | अगले एक साल में सैकड़ों लोग उस डरावने चेहरों वाले घर को देखने आये | लगभग तीस वर्षों तक (2002 तक) परेरा परिवार ने दावा किया की उनके घर में विभिन्न स्त्री-पुरुषों की (अलग-अलग आकार में ), अलग-अलग भाव लिए मुखाकृतियाँ फर्श पर बनती रही |

डरावने चेहरों का रहस्यउसके बाद मकान के उस हिस्से को सील बंद करके वहां पर शोध कार्य शुरू कर दिए गए | शोधकर्ताओं ने पाया की चेहरों की आकृतियाँ बनने के दौरान वहां कोई भी ऐसा पदार्थ नहीं होता जिससे चित्रकारी हो सके या उनमे रंग भरा जा सके | कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि ये एक प्रकार का थोटोग्राफ़िकल फेनोमेनन (Thoughtographic Phenomenon) है जिसमे किसी के अवचेतन मन में चल रहे विचारों के अनुसार, बाहरी दुनिया में फोटोग्राफिक प्लेट या अन्य किसी माध्यम पर चित्र उतारा जाता है |

थोटोग्राफी का कांसेप्ट सर्वप्रथम 1913 में आया, लेकिन आजकल इसे प्रोजेक्टेड थर्मोग्राफी (Projected Thermography) भी कहते है | इसे, 2002 में बनी अमेरिकन फिल्म ‘द रिंग’ (The Ring) में भी दिखाया गया है | उन शोधकर्ताओं का मानना था कि जुआन परेरा की पत्नी और घर की मालकिन, मारिया ही इन अपने अवचेतन मन द्वारा इन मुखाकृतियों को रसोईघर के फर्श पर अंकित करती थी |

लेकिन फरवरी 2004 में, 85 वर्ष की अवस्था में मारिया का देहांत हो गया | उसकी मृत्यु के पश्चात् प्रसिद्ध परामनोवैज्ञानिक ‘पेड्रो अमोरोस’ ने कुछ नयी मुखाकृतियों की तस्वीरें ली लेकिन उस समय की स्पेनिश मीडिया ने उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी बल्कि उन्हें ही गलत ठहराया | कुछ शोधकर्ताओं ने, अति संवेदनशील ध्वनि मापक यंत्रों से भी, निम्न और अति निम्न आवृत्तियों वाली ध्वनियों को रिकॉर्ड करने की कोशिश की तो उन्हें उस क्षेत्र से विचित्र तरह की आवाज़ें, कराहें और कुछ अज्ञात भाषा में बातचीत के स्वर सुनाई दिए |

यद्यपि शोधकर्ताओं के अपने-अपने तर्क हैं लेकिन ये पूरी घटना अभी भी एक विचित्र पहेली की तरह अनसुलझी हुई है | वहाँ जाने पर आज भी कुछ अनजान मुखाकृतियाँ दिखाई दे सकती हैं, अपने चेहरों पर अनंत की गहराइयों को छूती उदासी…और…विषाद लिए हुए !

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